कोरोना के बाद से सूरत में बढ़ा है आत्महत्या का प्रमाण

गुजरात में 2020 में 8040 और 2021 में 8789 लोगों ने आत्महत्या की

अहमदाबाद के एक पुलिसकर्मी के परिवार के साथ खुदकुशी की घटना पूरे गुजरात में चर्चा का विषय बन गई है। इसी बीच मनोचिकित्सकों के अनुसार, एक आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अपने जीवन को समाप्त करने से पहले परोक्ष रूप से रिश्तेदारों या दोस्तों को संकेत देता है। ऐसे में अगर पीड़ित को सही समय पर सहारा मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। समाज में आत्महत्या को लेकर कई भ्रांतियां हैं। हर साल 10 सितंबर को जन जागरूकता के लिए विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। 
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 90 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। भारत की बात करें तो साल 2021 में भारत में 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की। हर दिन करीब 450 लोग आत्महत्या करते हैं, यानी हर घंटे 18 लोग आत्महत्या करते हैं। दुर्भाग्य से, गुजरात में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं सूरत में हुई हैं। गुजरात में 2020 में 8040 और 2021 में 8789 लोगों ने आत्महत्या की। जबकि 2021 में सूरत में करीब 1059 लोगों ने आत्महत्या की थी। जो 2020 के मुकाबले करीब 22 फीसदी ज्यादा है।

आत्मघाती विचार एक प्रकार का भावनात्मक संकट है


इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ बिमल तमाकुवाला ने कहा आत्महत्या पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली समस्या है। इसलिए, आत्महत्या के विचार के मामले में, रिश्तेदारों या दोस्तों को सूचित करें। यह स्थिति मस्तिष्क में जटिल रासायनिक परिवर्तनों के कारण होती है। आत्मघाती विचार एक प्रकार का भावनात्मक संकट है। इससे बाहर निकलने के लिए एक खास तरह की दवा बहुत कारगर होती है। प्रभावित व्यक्ति का समय पर चिकित्सा उपचार आवश्यक है।

कोरोना के बाद बढ़ी आत्महत्या की दर


वहीं स्मीमेर के मनोचिकित्सक विभाग से डॉ पराग शाह ने बताया कि कोरोना रोग के कारण मस्तिष्क की नसों की सूजन और लंबे समय तक क्षतिग्रस्त रहने वाले मरीजों में आत्महत्या के विचार दुगने हो गए हैं। ऐसे रोगियों में जब अनिद्रा, मांसपेशियों में दर्द, अत्यधिक थकान जैसी समस्याएं असहनीय हो जाती हैं, तो प्रभावित व्यक्ति में आत्महत्या की संभावना बहुत बढ़ जाती है। बता दें कि विश्व भर में फैली बेसिक महामारी कोरोनावायरस कई लोगों के व्यापार चौपट कर दिए थे। जिसके बाद आत्महत्या के मामले बढ़ने लगे थे। कुछ लोग प्रतिदिन कमाकर खाने वाले थे, तो कुछ लोगों ने कड़ी मेहनत कर व्यापार खड़े किए थे, लेकिन बेसिक महामारी के चलते जिन लोगों के व्यापार चौपट हुए ऐसे में कई लोगों ने गलत कदम उठा कर आत्महत्या की थी। जिसकी वजह से संक्रमण के दौर में सुसाइड का ग्राफ बढ़ा था।

कौन-कौन से कारण हैं आत्महत्या के लिए जवाबदार


ज्यादातर आत्महत्या के मामले पारिवारिक विवाद के चलते सामने आते हैं। हालांकि कुछ लोग बीमारी से परेशान होकर सुसाइड कर लेते हैं। कई लोग कर्ज से एवं अपने व्यापार ना चलने से परेशान होकर व व्यापार ठप होने के बाद आत्महत्या करते हैं। इस प्रकार की परेशानी होने के बाद मानसिक तनाव में आने के कारण सुसाइड के मामले सामने आते हैं। पुरुषों के द्वारा अधिक आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। इस तरह के कदम उठाने के बाद परिवार को काफी परेशानी होती है।

परिवार और दोस्तों की जिम्मेदारी ज्यादा


आत्महत्या से पहले तनाव में रहने वाला आदमी कोई न कोई संकेत देता है। ऐसे में जिस समय कोई व्यक्ति परेशान चिंतित एवं तनाव में दिखे तो उस समय उसके परिवार को साथ देना चाहिए। साथ ही उसका मन बहलाने एवं हौसला अफजाई करने के लिए कहीं घूमने ले जाएं, घर में गेम खेलें, बातचीत करें, ताकि उसका ध्यान दूसरी ओर बट जाए। फिर इस तरह का कोई गलत कदम नहीं उठाएगा। दोस्तों को भी चाहिए कि अगर कोई दोस्त परेशान दिखे तो उसके साथ सामान्य सा व्यवहार करें और उसका साथ दें। कई बार स्कूल के बच्चे परीक्षा में फेल होने के बाद गलत कदम उठा लेते हैं। ऐसे में स्कूलों में उन्हें कुछ धैर्य और साहस के उदाहरण और कहानी सुनानी चाहिए।
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