
सूरत : किन्नरों के पास नहीं है मृतक किन्नरों को दफनाने के लिए पर्याप्त जगह
By Loktej
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वलसाड और नवसारी में भी श्मशान भूमि नहीं इसलिए आसपास के इलाके से सभी किन्नरों को अंतिम संस्कार के लिए सूरत आना पड़ता है
किन्नरों को समाज का अहम हिस्सा माना जाता है लेकिन उनकी बुनियादी जरूरतों की उपेक्षा की जाती है। सूरत पांच हजार से अधिक किन्नरों का घर है, लेकिन सालों से किन्नरों को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान की पर्याप्त जगह नहीं हैं। नानपुरा में रह रहे पांच हजार से अधिक किन्नरों के लिए केवल 1189 वर्ग मीटर श्मशान अंतिम संस्कार के लिए अपर्याप्त है।
सूरत में रहते हैं पांच हजार किन्नर, दफ़नाने को महज आधा बीघा जमीन
आपको बता दें कि गुजरात में किन्नरों को दफनाने या जलाने के लिए कब्रिस्तान/श्मशान कम और बहुत दूर हैं। सूरत, वडोदरा जैसे शहरों में श्मशान घाट हैं। हालांकि, चूंकि यह जगह किन्नरों की आबादी की तुलना में पर्याप्त नहीं है, इसलिए कई बार किन्नरों द्वारा जगह की मांग की जाती है। सूरत की बात करें तो सूरत में लगभग 5000 किन्नर रहते हैं और उनके मृतकों को नानपुरा हिजदावद के श्मशान घाट में दफनाया जाता है। हालांकि यह जमीन महज आधा बीघा है। और यह पूरे दक्षिण गुजरात में ज्यादातर एकमात्र श्मशान घाट है, जिससे आसपास के क्षेत्रों के किन्नरों को भी उनकी मृत्यु के बाद यहीं दफनाया जाता है।
वलसाड और नवसारी में नहीं है कोई कब्रिस्तान, सूरत ही आना पड़ता है
इस संबंध में नानपुरा के पायलमासी कुंवरबा ने कहा कि हमारी समाधिभूमि के लिए नानपुरा हिजदावद स्थल का आधा ही खाली है। सूरत में करीब पांच हजार, नवसारी में 150, वलसाडी में 150 25-30 किन्नर रहते हैं। प्रशासन ने सूरत में खरवासा के पास जगह की मांग की। चूंकि वलसाड और नवसारी में भी श्मशान भूमि नहीं है, अक्सर वहां के किन्नर द्वारा मृत्यु के बाद किन्नरों को दफनाने के लिए यहां लाया जाता है। हालांकि, तत्कालीन कलेक्टर धवल पटेल को एक प्रस्तुति के बाद, 2021 में चोर्यासी तालुका के मलगामा गांव में एक साइट आवंटित की गई है।
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