मंदी ग्रस्त सूरत के कपड़ा उद्योग के लिये बुस्टर डोज साबित हुआ ‘हर घर तिरंगा’ अभियान, विविंग इकाइयों से लेकर डाईंग-प्रिंटिंग मिलों में खूब काम रहा

मंदी ग्रस्त सूरत के कपड़ा उद्योग के लिये बुस्टर डोज साबित हुआ ‘हर घर तिरंगा’ अभियान, विविंग इकाइयों से लेकर डाईंग-प्रिंटिंग मिलों में खूब काम रहा

हर घर तिरंगा अभियान के कारण प्रिंटिंग और प्रोसेसिंग यूनिट कार्यरत

देश भर में बड़े पैमाने पर मनाएं जा रहे आजादी का अमृत महोत्सव समारोहों से वर्तमान में भयंकर मंदी का सामना कर रहे प्रसंस्करण या प्रोसेसर उद्योगों की छपाई इकाइयों को लाभ हुआ है। विभिन्न राज्यों समेत देशभर से 10 करोड़ तिरंगे के ऑर्डर मिल चुके हैं। स्वतंत्रता समारोह के 75वें वर्ष के हिस्से के रूप में देशभक्ति की भावना को जगाने के लिए 13 से 15 अगस्त तक हर घर त्रिरंगा अभियान के कारण, मुद्रण इकाइयों को देश भर में बड़ी मात्रा में तिरंगे की आपूर्ति के लिए 10 करोड़ ऑर्डर मिले हैं। जानकारी के अनुसार इतना बढ़ा आर्डर मिलने से प्रिंटिंग इकाइयां दिन-रात कार्यरत हैं। इसका कारण ये है कि क्योंकि 7 तारीख से पहले सारे ऑर्डर पूरे करने हैं। वर्तमान में 25 से अधिक इकाइयाँ छपाई में व्यस्त हैं। तिरंगे के लिए करीब ढाई करोड़ मीटर ग्रे की खपत होगी। हालांकि, इंडस्ट्री के लिए यह अच्छी बात है कि यह काम मंदी के दौरान किया गया है। सूरत में बनने वाले 10 करोड़ तिरंगे में से 40-45 लाख पीस का इस्तेमाल सूरत में हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने में किया जाएगा। जबकि बाकी तिरंगा 7 तारीख तक देश के अलग-अलग इलाकों में पहुंचकर किया जाएगा। गौरतलब है कि तिरंगे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा और छपाई कुछ ऐसा है जो सस्ते दाम पर कोई और नहीं कर सकता। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर तिरंगा बनाने का काम सिर्फ सूरत का कपड़ा उद्योग ही कर सकता है। इसका एक कारण और है कि वस्त्रों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के कारण देश के कोने-कोने तक तिरंगे की डिलीवरी की श्रृंखला भी उद्योगपतियों और व्यापारियों के स्वामित्व में है, जिसके कारण यह संभव है।

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