आंकड़े तो यही कहते हैं; सूरत में शराब का अवैध कारोबार करने वालों की संख्या घटी है!

आंकड़े तो यही कहते हैं; सूरत में शराब का अवैध कारोबार करने वालों की संख्या घटी है!

तीन साल पहले सूरत में बूटलेगर्स की संख्या जो 2750 से ज्यादा थी, तीन साल में घटकर 1860 हो गई

गुजरात में ऐसे तो सम्पूर्ण शराबबंदी है पर गाहे-बिगाहे शराब बिकने और मिलने की खबर सामने आते ही रहती है। इस बीच पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों से ही साफ है कि एक ओर तो सूरत के कोने-कोने में शराब बिक रही है वहीं इसके उलट पुलिस की गिरफ्त में शराब तस्करों की संख्या में कमी आई है। तीन साल पहले सूरत में बूटलेगर्स की संख्या जो 2750 से ज्यादा थी, तीन साल में घटकर 1860 हो गई है। इस आश्चर्यजनक विरोधाभास के लिए वे पुलिस स्टेशन पीसीबी को बूटलेगर्स के बारे में जो जानकारी देते हैं, वह जिम्मेदार है।
आपको बता दें कि हाल ही में कथित लट्ठा कांड के बाद गुजरात में शराबबंदी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। पुलिस का दावा है कि वह प्रतिबंध को लागू करने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रही है, लेकिन सच इसका उल्टा है और शहर के कोने-कोने में शराब आसानी से उपलब्ध है। सूरत में भी एक जुलाई से 25 जुलाई के बीच पुलिस ने शहर के लगभग सभी इलाकों में कुल 825 पेटी देशी शराब बरामद की। उसके सामने अंग्रेजी शराब की सिर्फ 91 पेटियां थीं। जबकि सूरत के अलग-अलग इलाकों से 1215 शराबी पकड़े गए। ये आंकड़े पुलिस के आधिकारिक प्रदर्शन का लिखित रिकॉर्ड हैं। पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर ही एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। सूरत पुलिस द्वारा सितंबर 2019 में सूरत में सक्रिय बूटलेगर्स पर तैयार की गई जानकारी के अनुसार, सूरत में कुल 2757 बूटलेगर सक्रिय थे। लेकिन पीसीबी सूत्रों के अनुसार आज सूरत पुलिस बुक में सक्रिय बूटलेगर्स की संख्या 1860 है। पीसीबी उस थाने के पास से लूटपाट करने वालों की जानकारी हासिल कर सूची तैयार करता है। हालांकि, थाने से सिर्फ उन बूटलेगर्स के बारे में जानकारी दी गई है, जिन पर तीन केस दर्ज हैं। जबकि पीसीबी उन बूटलेगर्स के बारे में भी जानकारी जोड़ता है जिन्होंने पहलू के तहत काम किया है।
गौरतलब है कि इस सूची से बूटलेगर्स के नाम कम कर दिए जाते हैं जब वे लंबे समय से सक्रिय नहीं होते हैं या पुलिस को मारे गए रिपोर्ट किये जाते हैं। ज्यादातर मामलों में एक बूटलेगर खुद को निष्क्रिय नहीं बताता है, फिर भी पुलिस बुक में बूटलेगर की संख्या में गिरावट वास्तव में आश्चर्यजनक है।
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