सूरत : अभिभावकों के लिए चिंताजनक है ये आंकड़ें, एक साल में मात्र सरथाना में लगभग चार सौ नाबलिकों ने किये माँ-बाप की मर्ज़ी के बिना शादी

सरथाना क्षेत्र में ममता पार्क सोसाइटी द्वारा आयोजित एक समारोह में स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस के सामने उठाए गए कुछ मुद्दों पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए

सूरत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पुलिस निरीक्षक लोक दरबार के साथ-साथ स्नेहमिलन कार्यक्रम में शामिल होते हैं। सरथाना क्षेत्र में ममता पार्क सोसाइटी द्वारा आयोजित एक समारोह में स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस के सामने उठाए गए कुछ मुद्दों पर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। अकेले सरथाना क्षेत्र में एक साल में बेटियों के माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने की 390 शिकायतें मिली हैं।ये अभिभावकों के लिए बहुत बाद चेतवानी जैसी जानकारी है। इसकी जानकारी सरथाना थाने के पीआई एमके गुर्जर ने परिजनों को दी।
आज के समय समाज के युवाओं की मानसिकता बहुत बदल रही है। सरथाना थाना क्षेत्र में 18 वर्ष से अधिक उम्र की युवतियों के खिलाफ 300 से अधिक शिकायतें अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने की और 13 से 17 साल की उम्र वालों के खिलाफ 23 शिकायतें मिली  हैं। ऐसे में यदि नाबालिग बच्चे अपने माता-पिता की आज्ञा के बिना विवाह कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से समाज के लिए भी कई प्रश्न उठते हैं।
इस बारे में बात करते हुए सरथाना पीआईएमके गुर्जर ने कुछ अहम मुद्दों पर बात की। उन्होंने बताया हमारे थाने में भी कई शिकायतें हैं कि युवतियां अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करना चाहती हैं। फिलहाल हमने जो आंकड़े दिए हैं वो सिर्फ सरथाना थाने के हैं। लेकिन यह संदेहास्पद है कि सूरत के अन्य थानों में भी ऐसी कितनी शिकायतें दर्ज की गई हैं। लोक दरबार के साथ-साथ अन्य कार्यक्रमों में भी हम लगातार लोगों के संपर्क में हैं और उन्हें कई अपराधों के प्रति सचेत कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह माता-पिता की पहली जिम्मेदारी है कि बच्चों में संस्कारों का विकास हो। अपने बच्चों के साथ रहने पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है कि वे अपना समय कैसे व्यतीत करते हैं। प्रमुखस्वामी और पांडुरंग आठवले जैसे धार्मिक गुरु कहते रहे कि हमें हाउस मीटिंग करनी है। ताकि बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताया जा सके और उनमें संस्कार डाले जा सकें। अगर आज हमारे परिवार की बेटियां अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने की मानसिकता के साथ सामने आती हैं, तो यह कहना सही होगा कि उनके पीछे हमारे संस्कारों की ठीक से सिंचाई नहीं की गई है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने परिवार के बच्चों से दोस्ती करें। ताकि वे अपने परिवार और माता-पिता से दैनिक दिनचर्या के दौरान बात कर सकें।
मेरे अपने करियर के दौरान जितने मामले सामने आए हैं, वे वाकई चिंताजनक हैं। मोबाइल के बढ़ते क्रेज ने बच्चों की मानसिकता को बदल दिया है। बच्चे बहुत छोटी उम्र से ही मोबाइल का इस्तेमाल करते आ रहे हैं और इससे मोबाइल का ज्यादा दुरुपयोग होने लगा है। छोटी बेटियां भी गलत राह पर जा रही हैं। उन्हें सड़क पर अभिभावकों द्वारा रोका जा सकता है। कार्यक्रम के दौरान मौजूद सभी अभिभावकों ने मार्गदर्शन देते हुए कहा कि माता-पिता देखें कि उनके बच्चे देर रात घर से बाहर क्यों जाते हैं। देर रात तक असामाजिक तत्व और टपोरी ही निकलते हैं। हमारे परिवार के बच्चे बाहर क्यों जाएं? उनके खेल को समाज में ही ठीक से व्यवस्थित किया जाना चाहिए। ताकि बच्चे अपने समाज से बाहर न जाएं। घर की बेटियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने मोबाइल का ज्यादा गलत इस्तेमाल न करें और इस बात पर भी नजर रखें कि वे किसके साथ समय बिता रही हैं। कानून-व्यवस्था उसी तरह काम करती है, लेकिन माता-पिता के लिए और अधिक सतर्क रहने का समय आ गया है।
Tags: