सूरत : डाटा एंट्री के नाम पर रंगदारी वसूलता कॉल सेंटर पकड़ा, 10 लाख रुपये जब्त

सूरत : डाटा एंट्री के नाम पर रंगदारी वसूलता कॉल सेंटर पकड़ा, 10 लाख रुपये जब्त

कॉल कर टास्क देने के बादकाम पूरा नहीं हुआ तो यूजर चार्ज के नाम पर 5500 रुपये वसूलते इस प्रकार से इस गिरोह ने अभी तक 9 से 10 लाख रुपये वसूले

संचालक, दो युवक और दो युवतियों सहित  7 गिरफ्तार,  25 फोन, 3 लैपटॉप, 28 सिम कार्ड, 19 डेबिट-क्रेडिट कार्ड जब्त किए
सूरत के पांडेसरा भेस्तान स्थित साई स्क्वायर कमर्शियल बिल्डिंग में कॉल सेंटर से डाटा एंट्री का काम दिया और उस टास्क देने के बाद भी काम पूरा नहीं हुआ तो युजर चार्ज के नाम पर 5500 रुपये वसूले उसके बाद पिछले 6 महिनों के दौरान कुल 9 से 10 लाख रुपये मांगे गए । संचालक युवक युवति तथा स्टाफ सहित 7 लोगो को पांडेसरा पुलिस ने हिरासत मेें लिया। पुलिस ने गिरफ्तार हुए लोगों से 25 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप, 28 सिम कार्ड और 19 डेबिट-क्रेडिट कार्ड सहित जब्त किए गए।
पुलिस सूत्रों के अनुसार पांडेसरा पुलिस ने  पांडेसरा भेस्तान साईं स्क्वायर कमर्शियल बिल्डिंग की दूसरी मंजिल दुकान नंबर ए/207 स्थित केलिजोब सर्विस नामक कॉल सेंटर पर छापेमारी की। वहां से पुलिस ने प्रशासक भाविक सतीशभाई पांचाल (उम्र 28, निवासी.29, जानकी पार्क सोसाइटी, भेस्तान, पांडेसरा, सूरत) और आरती तनुसिंगभाई चौधरी (उम्र 24, निवासी बी/60, हिमानी अपार्टमेंट, माजुरा गेट, सूरत) को गिरफ्तार किया। और वहां  सेन्टर में कार्यरत तीर्थ संजयभाई पटेल (उम्र 24, निवासी ए/1008, सुमन आस्था आवास, भीमराड कनाल रोड, खटोदरा, सूरत, मुल निवासी. कुकरवाड़ा, ता.विजापुर, जिला मेहसाणा), लिसा प्रकाश नायक (उम्र 22, निवासी प्लॉट नंबर 207, कृष्णानगर, पांडेसरा, सूरत मूल निवासी गंजाम, उड़ीसा), शताब्दी शत्रुघ्न शाहू (उम्र 24निवासी प्लॉट नंबर 2721, पंचवटी सोसाइटी , आवास, पांडेसरा, सूरत को गिरफ्तार किया है। 
पुलिस ने इनके पास से 25 मोबाइल फोन, 3 लैपटॉप, 28 सिम कार्ड, 19 डेबिट-क्रेडिट कार्ड और कुल 2.59 लाख रुपये बरामद किए हैं। डेटा एंट्री का काम देने के लिए मोबाइल नंबर धारकों को कॉल और टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए बेस परचेज का इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति काम करने के लिए तैयार है तो उसे पांच से छह दिनों में 90 प्रतिशत सटीकता के साथ 600 फॉर्म जमा करने के लिए 15,000 रुपये का भुगतान करना होगा। उसे तैयार होने वाले व्यक्ति का आईडी प्रुफ और ईमेल पता भी मिलता था। उसके बाद धोखाधडी का सही खेल खेलते थे। वेे 600 फॉर्म की डाटा एंट्री के लिए जो लिंक भेजते वह पांच से छह दिनों में 90 प्रतिशत सटीकता के साथ काम हो ही नहीं सकता। इसके बाद वे उसे फोन करते और पांच छ दिनों तक पोर्ट युज करने के रुपये की मांग करते थे। जो व्यक्ति शुल्क का भुगतान करने को तैयार था, उसे उनके अलग-अलग डमी बैंक खाते का विवरण दिया जाता और धन हस्तांतरण धारक से धन एकत्र किया जाता। छह माह से जिस कार्यालय में कॉल सेंटर चल रहा है, वह हरेंद्र यादव से महज छह हजार रुपये में किराए पर लिया गया है और अब तक गिरोह ने कुल 9 से 10 लाख रुपये जरूरतमंद लोगों से इस प्रकार से छीन लिए हैं। 

Tags: