सूरत : दृढ़ इच्छाशक्ति तथा अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के समन्वय से डांग के दुर्गम क्षेत्रों में समय पर पहुँचा शुद्ध व पर्याप्त जल

सूरत : दृढ़ इच्छाशक्ति तथा अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी के समन्वय से डांग के दुर्गम क्षेत्रों में समय पर पहुँचा शुद्ध व पर्याप्त जल

‘नल से जल’ योजना से डांग के साकरपातल तथा मानमोडी गाँव हुए जल समृद्ध,

ऑटोमैटिक मोबाइल स्टार्टर द्वारा उंगलियों की पोर से ही मोटर को ऑन-ऑफ़ करने की आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग
टेक्नोलॉजी तथा दृढ़ मनोबल का समन्वय हो, तो दुनिया की किसी भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है। टेक्नोलॉजी तथा दृढ़ मनोबल का ऐसा समन्वय गुजरात के आदिवासी ज़िले डांग के दुर्गम क्षेत्रों में देखने को मिला है। ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत राज्य सरकार ने डांग के साकरपातल एवं मानमोडी जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों तक उनके मूलभूत अधिकार अर्थात् पीने योग्य शुद्ध पानी को पहुँचा कर आदिजाति क्षेत्र के विकास की दृढ़ इच्छाशक्ति दर्शाई है। गुजरात के अंतिम छोर पर स्थित आदिवासी क्षेत्र डांग में राज्य की सर्वाधिक वर्षा होती है, परंतु भारी वर्षा के बावजूद पहाड़ों पर स्थित कुछ क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रह नहीं होता था, जिससे लोगों को वर्षा ऋतु के बाद के सात महीनों तक पानी के लिए तरसना पड़ता था, जबकि अब सरकार के ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी की सहायता से ऐसे गाँवों में घर-घर तक शुद्ध एवं पर्याप्त पानी समय पर पहुँचाया जा रहा है।
वघई तहसील में स्थित साकरपातल तथा मानमोडी गाँवों के लोग पहले पानी की कमी की समस्या का सामना करने को विवश थे। गाँव के लोगों को पीने का पानी भरने के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर तक पैदल चल कर जाना पड़ता था। इसमें उनका काफ़ी समय व्यर्थ जाता था और उनके कृषि मज़दूरी या नौकरी जैसे रोज़मर्रा के कार्यों में विक्षेप पहुँचता था। लोगों की समस्या का समाधान लाने के लिए कटिबद्ध राज्य सरकार ने ‘नल से जल’ योजना के अंतर्गत अद्भुत इंजीनियरिंग कुशलता से अंबिका नदी के तट से एक किलोमीटर दूर टीले (टेकरी) पर स्थित इन दोनों गाँवों साकरपातल व मानमोडी में घर-घर पानी पहुँचाया। जलापूर्ति योजना के अंतर्गत साकरपातळ गाँव में पानी पहुँचाने के लिए कुल 17.30 लाख रुपए की लागत से 3 आरसीसी टंकियाँ बनाई गईं तथा 6 किलोमीटर से अधिक लम्बी पाइपलाइन बिछाई गई है। इसी प्रकार मानमोडी गाँव में कुल 11.65 लाख रुपए की लागत से 2 आरसीसी व 1 एचडीपीई टंकियों का निर्माण किया गया तथा 4 किलोमीटर से अधिक लम्बी पाइपलाइन बिछाई गई है। 
सरकार द्वारा ग्रामकुएँ के पानी को वितरण व्यवस्था के माध्यम से टंकियों में और वहाँ से लोगों के घरों तक पहुँचाने की व्यवस्था की गई है। ग्रीष्म ऋतु में जल स्तर कम होने पर स्वत: पानी की समस्या को पैदा होने से रोकने के लिए विभिन्न स्थानों पर बनाई गई नालियों से कुएँ में पानी को स्वत: पहुँचाने की भी विशेष सुविधा स्थापित की गई है। राज्य सरकार के जनहितकारी आयोजन के माध्यम से साकरपातल गाँव के 303 घरों में रहने वाले लगभग 1,315 लोगों तथा मानमोडी गाँव के 115 घरों में रहने वाले 650 लोगों को पीने के पानी की सुविधा मिली, जिससे अब उन्हें पानी भरने के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ता। साकरपातल में ग्रामकुआँ गाँव से बहुत दूर होने से कारण नदी के दोनों ओर स्थित दो कुओं को जोड़ा गया है। गाँव के निकट स्थित कुएँ में लगाई गई मोटर को ऑटोमैटिक मोबाइल स्टार्टर द्वारा मोबाइल से ही ऑटोमैटिक ऑन-ऑफ़ करने की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। इससे केवल एक मिसकॉल द्वारा ही यह काम हो जाता है और समय का व्यय नहीं होता है।
साकरपातल गाँव के सरपंच मंगेशभाई गोहेल का कहना है, “प्रधानमंत्रीजी के नेतृत्व में ‘नल से जल’ योजना के अंतर्गत आज कुओं के कनेक्शन के साथ हमारे गाँव में 100 प्रतिशत नल कनेक्शन दिए गए हैं, जिसके माध्यम से ग्रामजनों को अनुकूलता व आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त पानी मिल रहा है।” इसी गाँव की जल समिति की सदस्य सुरेखाबेन चौहाण ने गाँव की महिलाओं की स्थिति के विषय में कहा, “पहले गाँव की महिलाओं को नदी से पानी लाने में लगभग डेढ़-दो घण्टे का समय लगता था, जबकि अब घर में नल कनेक्शन होने के कारण सबको घर में ही पानी मिलता है और महिलाओं का समय बच रहा है।”
मानमोडी गाँव के सरपंच महेन्द्रभाई गामित ने “गाँव में सुखमय परिवर्तन की अनुभूति हो रही है। पहले देर रात 2 बजे तक गाँव से दूर स्थित नदी तक पैदल जाकर पानी भरने जाना पड़ता था, परंतु अब हमारे गाँव में घर-घर पानी पहुँच रहा है। पिछले वर्ष जो घर बाक़ी रह गए थे, उनमें भी नल कनेक्शन का कार्य पूर्ण किया गया है।” इस गाँव की जल समिति की सदस्य दक्षाबेन गामित ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा, “डांग ज़िले में शुद्ध जल पहुँचाना सरकार का भगीरथ कार्य है, जो प्रबल इच्छाशक्ति के कारण संभव हुआ है।” राज्य सरकार ने समूह जलापूर्ति योजनाओं के अंतर्गत 143 किलोमीटर का पाइपलाइन नेटवर्क, 48 पम्पिंग स्टेशन, 27 हेडवर्क्स, 8 सब-हेवर्क्स, पानी की 81 टंकियों, 251 भूमिगत टंकियों तथा 1,467 किलोमीटर जल वितरण पाइलपाइन के माध्यम से केवल इन दो गाँवों ही नहीं, अपितु समग्र डांग ज़िले को जल से समृद्ध बनाया गया है।
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