सूरत : पार -तापी -नर्मदा नदी लिंक परियोजना रद्द , चुनाव से पहले गुजरात सरकार का बड़ा फैसला

सूरत :  पार -तापी -नर्मदा नदी लिंक परियोजना रद्द , चुनाव से पहले गुजरात सरकार का बड़ा फैसला

सूरत सर्किट हाऊस में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के नेतृत्व में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में हुई घोषणा

तापी-पार नदी लिंक परियोजना को रद्द करते हुए मुख्यमंत्री ने आदिवासी भावनाओं के सम्मान की घोषणा की
गुजरात विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे  नजदीक आ रहा हैं, लोगों को आकर्षित करने के लिए राजनीतिक दल हर संभव प्रयास कर रहा है। सूरत में आज मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी.आर. पाटिल की संयुक्त प्रेस वार्ता हुई। इसमें मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तापी-पार नदी लिंक परियोजना को रद्द करने की घोषणा की, जिसका आदिवासी समुदाय ने विरोध किया था। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि आदिवासी समुदाय की भावनाओं के सम्मान में परियोजना को खत्म कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के नेतृत्व में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया। सूरत के सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि यह केंद्र सरकार की योजना है। राज्य सरकार को मंजूरी के लिए पूछना पड़ता है, लेकिन राज्य सरकार ने अनुमति नहीं दी। फिर भी आदिवासी समाज में गलतफहमी पैदा करने की कोशिश की गई। इसलिए राज्य सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री के साथ बैठक में परियोजना को मंजूरी नहीं दी।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का जिक्र किया। इसके साथ ही हम आदिवासियों के लिए कई योजनाएं चला रहे हैं। केंद्र सरकार ने परियोजना का सर्वेक्षण और तैयार किया था, लेकिन राज्य सरकार लोगों के साथ थी। लोगों में भ्रांति पैदा हो गई, इसलिए मंजूरी नहीं दी गई। लेकिन आदिवासी समुदाय की भावनाओं के सम्मान में यह फैसला लिया गया है। ताकि योजना रद्द की जा सके। 
राज्य सरकार ने नहीं दी मंजूरी, इससे पहले, 28 मार्च को, परियोजना को स्थगित कर दिया गया था
पर-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को लेकर आदिवासियों में आक्रोश है। इससे नाराज सरकार के मंत्रियों समेत नेता 28 मार्च को आदिवासियों के साथ बैठक करने वलसाड पहुंचे। जहां उन्होंने बांध को हटाने के लिए समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष से बातचीत की। वार्ता के बाद राज्य सरकार की ओर से मंत्रियों को बताया गया कि वह फिलहाल किसी आदिवासी को विस्थापित नहीं करेगी तभी परियोजना के निलंबन की घोषणा की गई थी। गुजरात भाजपा के आदिवासी नेता रिवर लिंक परियोजना के लिए गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का परिचय कराने दिल्ली पहुंचे। सरकार के मंत्रियों और विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली गया और इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को आदिवासी समुदाय की भावनाओं से अवगत कराया। केंद्र सरकार ने तब इस परियोजना को निलंबित कर दिया था।
तापी के सोनगढ़ में आदिवासी समुदाय ने एक सम्मेलन का आयोजन किया और पर-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को रद्द करने की मांग की। आदिवासी समुदाय की इस रैली को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था। रैली में वांसदा विधायक अनंत पटेल समेत कांग्रेस के नेता मौजूद थे। प्रोजेक्ट कैंसिल करने की बात आने पर वे भड़क गए। श्वेत पत्र की मांग के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। इस संबंध में पीएम मोदी को 1111 पोस्टकार्ड लिखे गए।
402 किमी लंबे पार-तापी-नर्मदा लिंक को नर्मदा परियोजना के कमांड एरिया में सालाना अतिरिक्त 1350 मिलियन क्यूबिक मीटर अतिरिक्त पानी ले जाने की योजना थी। पार तापी-नर्मदा लिंक नहर की योजना में दक्षिण गुजरात के पार, औरंगा, अंबिका और पूर्णा नदियों के निर्वहन क्षेत्र में कुल सात जलाशयों का निर्माण शामिल था। दमनगंगा-पिंजाल लिंक को दमनगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में कुल दो जलाशयों के निर्माण को शामिल करने की योजना थी।
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