सूरत : कोयले का विकल्प स्मार्ट माड्यूलर रिएक्टर : परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल

सूरत  : कोयले का विकल्प स्मार्ट माड्यूलर रिएक्टर :  परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल

सूरत में सचिन जीआईडीसी के सभी उद्योगपतियों के समक्ष एक डॉ. नीलम गोयल भारत की परमाणु सहेली ने एक सेमिनार का आयोजन किया

सूरत में कोयले का संकट स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर एक व्यावहारिक विकल्प
देश में बढ़ते कोयले के संकट व कार्बन प्रदूषण से बचाव के रूप में परमाणु ऊर्जा ही एक व्यावहारिक विकल्प है। समय रहते यदि इस दिशा में प्रयास नहीं किए गए तो आने वाले समय में बिजली संकट का प्रभाव उद्योगों पर गहराता नजर आएगा। कोयले के विकल्प के सम्बन्ध में  सूरत में सचिन जीआईडीसी के सभी उद्योगपतियों के समक्ष एक डॉ. नीलम गोयल भारत की परमाणु सहेली ने एक सेमिनार का आयोजन किया। सेमीनार में प्रदूषण नियंत्रण विभाग की रीजनल ऑफिसर डॉ. जिज्ञासा ओझा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थी। साथ में सचिन जीआईडीसी के अध्यक्ष महेंद्र भाई रामोलिया व सीईटीपी के चेयरमैन विनय अग्रवाल, सचिन टैक्सटाइल प्रोसेसर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल व किशोर भाई पटेल भी मौजूद थे। 
सचीन इन्फ्रा एन्यवायरमेन्ट के हॉल में उपस्थिति सभी ने परमाणु ऊर्जा के लिए संकल्प लिया

परमाणु सहेली ने स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर के बारे मे पीपीटी प्रेजेंटेशन के द्वारा विस्तृत जानकारी दी। बताया गया कि विध्युत ऊर्जा के सभी स्त्रोतों की उपयोगिता एवं महत्ता को ध्यान में रखते हुए भारत देश के "मिश्र उर्जा प्लान" के मुताबिक प्रति व्यक्ति प्रतिवर्ष औसतन 5000 यूनिट बिजली का उत्पादन होना है।
 भारत देश के परंपरागत स्त्रोत जैसे कोयला, पानी, हवा, सूर्य, तेल, गैस इत्यादि से ओसतन 2000 यूनिट प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष ही बना सकता है। जबकि अकेली परमाणु ऊर्जा से सदियों तक औसतन 3000 यूनिट बिजली प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष का उत्पादन किया जा सकता है।
परमाणु सहेली ने बताया कि परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाना सुरक्षा व संरक्षा की दृष्टि से सर्वोत्तम तो है ही, साथ ही व्यापारिक दृष्टि से प्रतिस्पर्धात्मक भी है। परमाणु ऊर्जा से बिजली बनाने के क्षेत्र में भारत विश्व स्तर से भी अधिक की योग्यता रखता है। भारत के पास वर्तमान में ही इतनी व्यवस्था है कि वह अपने सभी जिलों की राजधानियों में, शहर के बीचों-बीच, खूबसूरत माल की तरह  दिखने वाले, 90 प्रतिशत क्षमता घटक के 500-500 मेगावाट क्षमता के स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर्स स्थापित कर सकता है । 
भारत देश विभिन्न जाति, धर्म, सम्प्रदाय, समूह, संगठन व उद्योगपतियों/कारोबारियों/छोटे व्यापारियों, इत्यादि व आम जन वाला एक वृहत्त प्रजातांत्रिक राष्ट्र है। इसीलिए इस संकल्प की सिद्धि हेतु, सभी हितधारकों की इसमें सुरक्षित/संरक्षित सहमति प्रकट होने पर ही सूरत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए, स्मार्ट मॉड्युलर परमाणु सयंत्र के रूप में व्यावहारिक विकल्प मिल सकेगा  । 
भारत के सूरत शहर में  स्मार्ट मॉड्यूलर परमाणु संयंत्र की स्थापना, पूरे राष्ट्र के लिए ऐसी नींव के शिलान्यास को जन्म देगी जो, निकट भविष्य में भारत के हर जिले पर 500-500 मेगावाट क्षमता के स्मार्ट मॉड्युलर परमाणु सयंत्रों की स्थापना सुनिश्चित कर देगी ।                                         
 सूरत के सभी उद्योगपतियों ने गुजरात सरकार व भारत सरकार से सूरत में 500-500 मेगावाट के ऑफ ग्रिड स्मार्ट मॉड्यूलर रिएक्टर्स की दो ईकाईयाँ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड (पीपीपी) या, अन्य मोड जो संविधान के अनुरूप है, के माध्यम से लगाने की अर्ज भी की है। सेमिनार में आए मुख्य अतिथि डॉ. जिज्ञासा ओझा ने सेमिनार की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत का भविष्य परमाणु ऊर्जा ही है। सचिन टेक्सटाईल्स प्रोसेसर्स वेल्फेयर असोसिएशन के प्रेसिडेंट विनोद अग्रवाल ने कहा की सूरत के भविष्य के लिए यह ज़रूरी कदम हैं व सभी उद्योगपतियों ने परमाणु सहेली को समर्थन दिया व कहा कि सूरत क्षेत्र ही नहीं समस्त भारत के उद्योगपति आपके साथ हैं।  सेमिनार में परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के बाद सभी ने कहा कि परमाणु ऊर्जा ही हमारा भविष्य है।  उपस्थित सभी ने संकल्प लिया।

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