सूरत : पुलिस से चार कदम आगे अपराधी, ऐसी तकनीक का उपयोग कर रहे कि ट्रेस करना हो रहा मुश्किल

अपराधी अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की बजाय खास एप का इस्तेमाल कर रहे जिससे मोबाइल फोन के टावरों से अपराधियों की सटीक लोकेशन का पता लगाना असंभव हो गया है

आज के समय में तकनीक का विकास लोगों को भला कर रही हैं पर इस प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ मोबाइल फोन से अपराधियों को भी बहुत फायदा हो रहा है। अब अपराधी ऐसे तकनीक इस्तेमाल कर रहे जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो गया है। अपराधी अब मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की बजाय खास एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। लुटेरे और मोबाइल स्नैचर और अन्य अपराधी अब चोरी और डकैती में विशेष एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं। इस एप्लिकेशन के माध्यम से मोबाइल फोन के टावरों से अपराधियों की सटीक लोकेशन का पता लगाना असंभव हो गया है। ये मोबाइल एप्लिकेशन इतने जटिल हैं कि पुलिस अब आदतन अपराधियों को मोबाइल फोन से ट्रेस नहीं कर सकती है।
आपको बता दें कि आदतन अपराधी उस जियो कंपनी के मॉडम का इस्तेमाल करते हैं। इस मॉडम के जरिए वाईफाई का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस वाईफाई का इस्तेमाल एक साथ पांच मोबाइल से बात करने के लिए किया जा सकता है। अपराधी अब अपने फोन को एयरप्लेन मोड में डाल देते हैं। फिर वाईफाई को सक्रिय करें और किसी भी एप्लिकेशन से कॉल करें। यानी मोबाइल फोन या टावर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। पुलिस का आईपी पता सही होने पर ही वे पता लगा सकते हैं कि अपराधी कहां है। वास्तव में यह खोजना असंभव हो गया है। आईपी एड्रेस से अपराधियों को पकड़ना लोहे के चना चबाने जैसा है। वर्तमान में मोबाइल पर व्हाट्सएप प्लस, स्काई पे, कॉलिंग स्पेशल, फेसबुक मैसेंजर, इंडिको जैसे ऐप का उपयोग कर रहे हैं। अगर आप इंडिको नाम के ऐप से कॉल करते हैं, तो स्क्रीन पर इंटरनेशनल कॉल नंबर आ जाता है। ऐसे में यह पता लगाना मुश्किल है कि विरोध करने वाला व्यक्ति भारत का है या किसी अन्य देश का।
गौरतलब है कि महिधरपुरा पीआई धूलिया ने बताया कि फिलहाल 57 मोबाइल के साथ पकड़ा गया मजदूर एक खास एप के जरिए बात कर रहा था। इसके अलावा रेडर अब ऐसे ऐप का इस्तेमाल करते हैं। इसमें वे एक मॉडेम का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए अपराधियों को मोबाइल फोन से ढूंढना लगभग असंभव हो गया है।