सूरत : हीरा उद्योग को लगा मंदी का ग्रहण, हीरे के भाव न मिलने से घाटे के डर से व्यापारियों ने बेचना बंद किया

अंतरराष्ट्रीय बाजार में हीरे की मांग घट रही है

इस समय सूरत में हीरा उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। हीरा कारोबार से जुड़े दिनेशभाई गुजराती ने कहा कि इस समय हीरा उद्योग में भारी गिरावट देखी जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हीरे की मांग घट रही है। इसके साथ ही तैयार हीरों की कीमतों में प्रति कैरेट 10 से 15 हजार रुपये तक की गिरावट आ रही है, जिससे निर्माताओं को आर्थिक नुकसान हो रहा है। जिससे उत्पादन में कटौती हुई है। कारीगरों का वेतन, लाइट बिल रखरखाव वहन नहीं किया जा सकता है जिसके कारण कुछ छोटे उद्यमियों को एक सप्ताह की मिनी-अवकाश की घोषणा करनी पड़ी है। बड़े उद्योगपतियों ने काम के घंटे कम कर दिए हैं।
हीरा कारखानों के प्रबंधक जिन्हें तैयार हीरों के अच्छे दाम नहीं मिलते हैं और जिनकी धारण क्षमता होती है, उन्होंने काम के घंटे कम कर दिए हैं। इसके अलावा कुछ छोटी इकाइयों ने 7 से 10 दिन की छुट्टी की घोषणा की है। पिछले डेढ़ साल में हीरा बाजार में उछाल देखा गया है, लेकिन इसने विराम ले लिया है। ट्रेडर्स अब नुकसान के डर से रफ डायमंड नहीं बेचते हैं क्योंकि रफ को ज्यादा कीमत पर खरीदने के बाद उन्हें बराबर कीमत नहीं मिलती है। दूसरी ओर हीरा कारोबारी भी कम धारण क्षमता के कारण उत्पादन पर ब्रेक लगा रहे हैं। तैयार हीरों की अपर्याप्त कीमतों के कारण कुछ कारखानों में काम के घंटे 2 से 3 घंटे कम कर दिए गए हैं। जबकि छोटी इकाइयों ने 7 से 10 दिनों की छुट्टी की घोषणा की है। उन्होंने कहा, 'मौजूदा समय में कच्चे हीरों की कीमत में कमी आई है, लेकिन हमें तैयार हीरों की कीमत नहीं मिल रही है। कम धारण क्षमता वाले अवकाश पर हैं। कुछ इकाइयों ने समय कम कर दिया है। लेकिन त्योहारों के आने से मांग फिर से बढ़ जाएगी।' स्थानीय हीरा व्यापारियों ने लैबग्रोन डायमंड के साथ आगे बढ़ने की तैयारी शुरू कर दी है। दूसरी तरफ सरकारी सब्सिडी की फाइल आगे नहीं बढ़ रही है।
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