सूरत : विश्व जागृति मिशन बालाश्रम में साप्ताहिक सत्संग का हुआ आयोजन, आचार्य राम कुमार ने दी संस्कार की सीख

सूरत :  विश्व जागृति मिशन बालाश्रम में साप्ताहिक सत्संग का हुआ आयोजन, आचार्य राम कुमार ने दी संस्कार की सीख

पढ़ाई का स्तर भले ही ऊंचा हो, लेकिन अपने संस्कार को कभी भी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए

विश्व जागृति मिशन बालाश्रम में आचार्य रामकुमार पाठक के सानिध्य में रविवार को साप्ताहिक सत्संग का आयोजन किया गया। सत्संग में  जैन समाज से श्री जिनेश्वर धार्मिक पाठशाला , परवत पाटिया, सूरत से पाठशाला के बच्चे एवं उनके जैन समाज के कार्यकर्ता, अध्यापक गण सामिल हुए।  जैन समाज के द्वारा आचार्य का शॉल और माला अर्पण करके सम्मान कर सभी ने आशीर्वाद लिए । आचार्य जी ने अपने आशीर्वचन प्रवचन में बच्चों को घर परिवार एवं माता - पिता के प्रति अपनी कृतज्ञता की सीख दी। 
लोक विख्यात संत सुधांशुजी महाराज के शिष्य आचार्य रामकुमार पाठक ने कहा कि किशोरावस्था बच्चे के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण है। माता-पिता को बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य और अच्छे चरित्र के विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए। माता पिता बनना हमारे जीवन का सबसे पुरस्कृत व परिपूर्ण कर देने वाला अनुभव है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं की यह आसान है । 
इस अवसर पर बालाश्रम के पदाधिकारियों सहित महाराजजी के अनेक शिष्य उपस्थित रहे
आपके बच्चे-बच्चों की उम्र चाहे कितनी भी हो, आपका दायित्व कभी खत्म नहीं होता। अच्छे माता पिता बनने के लिए आपको इस कला में माहिर होना पड़ेगा कि कैसे अपने बच्चों को सही व गलत के बीच के अंतर की शिक्षा देते हुए आप उन्हें विशिष्ट एवं प्यारे महसूस करवा सकते हैं। उन्होंने  जैन धर्म के बारे में भी विस्तृत चर्चा की और बच्चों के प्रति माता - पिता की भी फर्ज बताई। साथ ही बच्चों को इंग्लिश मीडियम की पढ़ाई के साथ सेवा , संस्कार और बाल्यावस्था का विद्यार्थी जीवन की सुव्यवस्था के बारे में भी बताया। आचार्यजी ने बताया कि  भले पढ़ाई का स्तर ऊंचा हो , खूब तरक्की करो, लेकिन अपने संस्कार को कभी भी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। सत्संग के अंत में बालाश्रम के बच्चों के साथ  पाठशाला के बच्चों ने अपनी-अपनी दिनचर्या की चर्चा की, संस्कृत श्लोक, भजन कीर्तन किया, बच्चों के साथ नाश्ता भी किया। इस अवसर पर बालाश्रम के पदाधिकारियों सहित महाराजजी के अनेक शिष्य उपस्थित रहे। 
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