सूरत : शहरवासियों के लिए खुशखबरी, आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक में वेटिंग में आई कमी

सूरत :  शहरवासियों के लिए खुशखबरी, आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक में वेटिंग में आई कमी

पाल आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का इंतजार अब लगभग शून्य हो गया है

सूरत आरटीओ में प्रतीक्षा करने के पीछे कारण यह था कि प्रतिदिन 150 चार पहिया और 250 दोपहिया सहित कुल 400 वाहनों का टेस्ट लिया जाता था। मान लीजिए कि वर्ष 2019 में यदि कोई व्यक्ति अप्रैल के महीने में स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, तो उसका नंबर जून या जुलाई के महीने में आएगा।
पाल आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक का इंतजार अब लगभग शून्य हो गया है। जिसका अर्थ है कि अब अर्जी करने वाले वाहन चालकों को तुरंत दूसरे दिन ड्राइविंग टेस्ट के लिए नंबर आ जा रहा है। गौरतलब है कि लॉकडाउन से पहले पाल आरटीओ में ढाई से तीन महीने का वेटिंग पीरियड था। फिर लोग लर्निंग लाइसेंस के लिए अलग-अलग कॉलेजों में जाने लगे। उसके बाद उन्हें दलालों की मध्यस्थता से नवसारी, बारडोली या आहवा से करा लेते थे। 
वर्ष 2019 में मूल लाइसेंस प्रक्रिया के लिए 60 दिन या उससे अधिक की प्रतीक्षा अवधि थी। लॉकडाउन खुलने के बाद लोग दूसरे विकल्प तलाशने लगे। इसके बाद सरकार की ओर से एक गाइडलाइन जारी की गई कि यदि कच्चे लाइसेंस बनाए जाते हैं, तो किसी अन्य आरटीओ से पक्के लाइसेंस बनाये जा सकते हैं। इसके बाद आवेदकों ने सूरत के एक कॉलेज से कच्चा लाइसेंस प्राप्त किया और एजेंट ने ठोस लाइसेंस के लिए बारडोली, आहवा या नवसारी के लिए ड्राइविंग टेस्ट सेंटर चुनना शुरू कर दिया।
प्रतीक्षा के पीछे कारण यह था कि प्रतिदिन 150 चार पहिया और 250 दोपहिया सहित कुल 400 वाहनों का परीक्षण किया गया। मान लीजिए कि वर्ष 2019 में यदि कोई व्यक्ति अप्रैल के महीने में स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, तो उसका नंबर जून या जुलाई के महीने में आएगा। वजह यह थी कि 400 स्लॉट में से हर दिन टेस्ट के लिए 800 आवेदन आते थे। नतीजा यह रहा कि दूसरे दिन 400 आवेदन अग्रेषित किए गए, जिससे दूसरे दिन के ड्राइविंग टेस्ट का दबाव बढ़ गया। ऐसा करते-करते वेटिंग 90 दिन तक पहुंच गई।
 स्वचालित परीक्षण ट्रेक विफल रहा
सूरत आरटीओ में सेंसर, सीसीटीवी कैमरे से लैस ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक है। जिसमें टेस्ट के दौरान की गई गलतियों को पकड़ा जा सकता है। जिससे आवेदक को पास होने में थोड़ी परेशानी होती है। जिसके बाद अब वही लोग एजेंटों के माध्यम से बारडोली व आहवा सेंटर में आवेदन करते हैं। अधिकारी बारडोली, आहवा, नवसारी के बीच में एक खेत में बैठता है, आवेदक को कागजात दिखाता है और मैदान से गुजरने के बाद उसे पास करता है और लाइसेंस अगले 20 से 25 दिनों में जारी किया जाता है। इसके बाद लोगों ने आरटीओ की जगह इन केंद्रों की ओर रुख करना शुरू कर दिया। जिससे सूरत आरटीओ का कम वेटिंग होने से आवेदकों को रोजाना अप्वाइंटमेंट मिल रहे हैं।
लर्निंग लाइसेंस की वैधता 6 महीने 
कंप्यूटर परीक्षा पास करने के बाद उसे तुरंत लर्निंग लाइसेंस मिल जाता है। इस लाइसेंस की वैलिडिटी 6 महीने होती है। इस बीच, आप एक महीने के बाद मूल लाइसेंस के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। जहां पहले बारडोली, नवसारी, आहवा में 60 टेस्ट होते थे  अब 200 पर पहुंच गए हैं। वहीं सूरत पाल आरटीओ, जहां 200 टेस्ट लिये जाते थे, अब 50 पर पहुंच गए हैं। जब से लॉकडाउन खुला है, टेस्ट ड्राइविंग फिर से शुरू होने के बाद से प्रतीक्षा को एक महीने तक कम कर दिया गया है। लेकिन बाद में सूरत के अलग-अलग कॉलेजों के लोगों को लर्निंग लाइसेंस मिलने लगा। इसके बाद ब्रोकर को बताना ही उनके लिए ड्राइविंग टेस्ट का केंद्र था। यानी स्वयं कोई भी लायसेंस बनवाने के प्रयास करने की बजाय एजेंट को सौंप देना बेहतर समझता था। 
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