सूरत : प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस के तकादे के खिलाफ कलेक्टर के नोटिस पर जानिए अदालत ने क्या रुख अपनाया?

सूरत के जिला कलेक्टर आयुष ओक द्वारा एक परिपत्र जारी कर सूरत के स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों को उनका बकाया भुगतान करने के लिए मजबूर न करें।

गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले साल जारी एक परिपत्र पर मंगलवार को सूरत के जिला कलेक्टर को एक नोटिस जारी किया, जिसमें जिसमें सभी स्व-वित्तपोषित स्कूलों को फीस का भुगतान न करने पर छात्रों को परेशान नहीं करने का आदेश दिया गया था। कलेक्टर ने कहा था कि 
सूरत के जिला कलेक्टर द्वारा सूरत के स्कूलों को जारी परिपत्र को गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। सूरत के जिला कलेक्टर आयुष ओक द्वारा एक परिपत्र जारी कर सूरत के स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों को उनका बकाया भुगतान करने के लिए मजबूर न करें। जिसे सूरत प्राइवेट स्कूल बोर्ड ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में हाईकोर्ट ने सूरत के जिला कलेक्टर को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने को कहा है।
बता दें कि जिला कलेक्टर द्वारा एक परिपत्र जारी कर सूरत जिले के निजी स्कूलों के प्रशासकों को निर्देश दिया गया है कि वे फीस वसूल कर बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव न डालें। 31 मार्च के इस परिपत्र में कहा गया है, "फीस माता-पिता और प्रशासकों के बीच की बात है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसके लिए बच्चे पीड़ित न हों। इस तरह के उत्पीड़न को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम और बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा।
एनसीपीसीआर ने कहा, ' इस तरह के निर्देश परिपत्र के जरिए दिए गए हैं कि अगर कोई बच्चा फीस नहीं देता है तो उचित फोरम में कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन बच्चों को प्रताड़ित या शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। स्कूल सीधे अभिभावकों से निपटें और बच्चों को बीच में न लाएं। जिसे फेडरेशन ऑफ फाइनेंस स्कूल्स गुजरात ने गुजरात हाई कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने सूरत के जिला कलेक्टर को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने को कहा है।
निजी स्कूल के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की ओर से कोर्ट में पेश किया गया है कि जिस राज्य में फीस रेगुलेशन कानून है, वहां फीस के मामले में जिला कलेक्टर ऐसा परिपत्र नहीं बना सकते। यह मामला उनके दायरे में नहीं आता है।