सूरत : एसएमए ने तीन महीने में समाधान कर रु.3.75 करोड़ की राशि व्यापारियों को दिलवाई
सूरत मर्कनटाइल एसोसिएशन प्रमुख ने छोटे व्यापारियों की स्थिति पर जताई चिंता, दी ऑनलाइन मंच की सलाह
सूरत मर्कनटाइल एसोसिएशन (एसएमए) की 203वीं नियमित साप्ताहिक समस्या समाधान मीटिंग रविवार प्रातः 9:30 से 10:30 बजे तक माहेश्वरी भवन, सिटी लाइट परिसर में संपन्न हुई। एसएमए प्रमुख नरेन्द्र साबू की अगुवाई में पंच पैनल एवं कोर कमेटी की उपस्थिति में यह बैठक आयोजित की गई, जिसमें 78 व्यापारी भाईयों ने भाग लिया। बैठक में कुल 8 आवेदन पत्रों पर सुनवाई की गई, जिनमें से एक मामले का समाधान मौके पर आपसी बातचीत से कर दिया गया। शेष 7 मामलों को पंच पैनल और एसोसिएशन की लीगल टीम को सौंपा गया, जिनका समाधान समयबद्ध रूप से किया जाएगा।
मीटिंग में एसएमए की पिछली तीन महीने की कार्यप्रणाली का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया। इस दौरान कुल 422 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 108 मामलों का समाधान किया गया और करीब रु. 3.75 करोड़ की राशि व्यापारियों को वापस दिलवाई गई। एसएमए ने स्पष्ट किया कि वे व्यापारियों के हित में निरंतर कार्यरत हैं और व्यापार में आ रही चुनौतियों का समाधान प्राथमिकता से करते रहेंगे।
मीटिंग का प्रमुख मुद्दा रहा छोटे व्यापारियों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति। एसएमए ने बताया कि जिन व्यापारियों का टर्नओवर 5 करोड़ से कम है, वे भाड़े की दुकान, बैंक ऋण और रिटर्न माल जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। पहले जहां गुड्स रिटर्न की दर 2–5 प्रतिशत थी, अब वह बढ़कर 12–20 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो चिंताजनक है।
शिव शक्ति मार्केट अग्निकांड के बाद भाड़े में 10 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि ने व्यापारियों के मुनाफे को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। डेड स्टॉक, रिटर्न गुड्स और अटकी रकम के कारण व्यापार संकट में है।
एसोसिएशन ने छोटे व्यापारियों को सुझाव दिया कि वे शीघ्र ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट करें और खुद की वेबसाइट बनाकर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचें। यही तरीका है जिससे वर्तमान संकट में व्यापार का अस्तित्व बचाया जा सकता है।
टेक्सटाइल व्यापार के तीन प्रमुख क्षेत्रों वीविंग, प्रोसेस हाउस और ट्रेडिंग में से केवल ट्रेडिंग सेक्टर को रिटर्न गुड्स की मार झेलनी पड़ रही है। एसएमए ने ‘जीरो टॉलरेंस पॉलिसी’ अपनाने की जरूरत पर बल दिया ताकि यह समस्या जड़ से खत्म की जा सके।
बैठक में गारमेंट उद्योग की समस्याओं पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि बिना ऑर्डर कन्फर्म किए माल का उत्पादन करना मुख्य वजह है कि 30–40 प्रतिशत माल वापस आ जाता है। व्यापारियों को सलाह दी गई कि वे ऑर्डर के अनुसार ही माल तैयार करें और गुणवत्ता व समयबद्ध सप्लाई पर ध्यान दें।