सूरत कपड़ा बाजार : इस कारण वीविंग उद्योग में आने वाले 2 महीने श्रमिकों की किल्लत रहेगी

सूरत कपड़ा बाजार : इस कारण वीविंग उद्योग में आने वाले 2 महीने श्रमिकों की किल्लत रहेगी

मार्च में होली का त्यौहार आने के साथ ही अपने गांव की ओर रवाना होने लगते है कारीगर

मार्च की शुरुआत के साथ विभिन्न उद्योगों में कारीगर धीरे-धीरे अपनी मातृभूमि की ओर रवाना हो रहे है। इससे समस्याएं और भी बदतर होती जा रही हैं। वर्तमान में प्लेन ग्रे प्रोड्यूसर्स की भी हालत खराब है और अब जेकक्वार्ड के प्रोड्यूसर्स भी असमंजस में हैं।
बता दें कि मार्च में होली-धुलेती के त्यौहार से पहले ही कारीगर अपने-अपने घर जाने लगते हैं। यह हर साल होता है और अभी भी महीने की शुरुआत है, जिसमें लगभग 20 प्रतिशत कारीगर बुनाई उद्योग छोड़ अपने गांव की ओर रवाना हो रहे हैं। कारीगरों की कमी के कारण कई इकाइयां मात्र एक पाली में चल पा रही हैं। विभिन्न उद्योगों में काम करने वाला कारीगर वर्ग हर साल इस समय अपने गांव जाता है और अनिश्चित काल (कम से कम दो महीने की) छुट्टी रखता है।
गौरतलब है कि महंगाई बढ़ने के साथ ही मजदूर वर्ग की कमाई की भूख बहुत बढ़ गई है। पंद्रह दिन में 11 हजार का काम अब उपयुक्त नहीं रहा। कारीगर 13 से 14 हजार का काम होने पर ही काम करने को तैयार होते हैं। यदि मशीन ठीक से उत्पादन नहीं कर सकती है, तो कारीगर ऐसी मशीन पर काम करने के लिए तैयार नहीं है। शादियों के सीजन और होली-धुलेती त्योहार के चलते ज्यादातर निर्माताओं का मानना ​​है कि जो कारीगर घर जा चुका है, वह जल्द नहीं लौटेगा। मार्च में घर जाने वाले कारीगरों की संख्या काफी ज्यादा होती है और उन्हें इस बात की ज्यादा चिंता रहती है कि ज्यादा मजदूरी कहां और कैसे मिले।
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