सूरत : अहमदाबाद ब्लास्ट केस का फैसला, सूरत के तनवीर को मौत की सजा

सूरत :  अहमदाबाद ब्लास्ट केस का फैसला,  सूरत के तनवीर को मौत की सजा

सूरत में तनवीर द्वारा निर्दिष्ट 30 स्थानों पर बम लगाए गए थे, दंगों का बदला लेने के लिए सौराष्ट्रवासी क्षेत्र में बम लगाए गए थे

29 जिंदा बम मिलने के बाद मिला इंडियन मुजाहिदीन-भटकल बंधुओं का लिंक
2008 में सूरत में 29 जिंदा बम मिले थे। 1992 के वराछा में हुए सांप्रदायिक दंगों के प्रतिशोध में आतंकवादियों ने सौराष्ट्र क्षेत्र में अधिकांश बम लगाए। आतंकियों ने 29 में से 5 बम ओवरब्रिज पर और 3 बम पेड़ों पर लगाए थे। बम लगाने वाले दो स्थानीय लोगों में से एक मोहम्मद तनवीर पठान को दोषी पाया गया। जब एक को कोर्ट ने बरी कर दिया। तनवीर को आज मौत की सजा सुनाई गई है। उल्लेखनीय है कि पूछताछ के दौरान जहीर पटेल समेत भटकल बंधु और इंडियन मुजाहिदीन से उनका संबंध पूरी तरह से साजिश साबित हुआ। सूरत के बम मामले को अहमदाबाद से जोड़ा गया और अहमदाबाद कोर्ट में दोनों मामलों की कार्यवाही एक साथ शुरू की थी।
अहमदाबाद विस्फोट मामले में सजा को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल ने कहा अदालत का आज का फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है।  देश की शांति भंग करने की मंशा रखने वालों को यह फैसला चेतावनी दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उस वक्त पुलिस से कहा था कि आरोपी को ढूंढ़ने से देश की सेवा होगी। 
आरोपियों को लाने के लिए चार्टर्ड प्लेन का इंतजाम किया गया था । आरोपियों को आजमगढ़ जैसे इलाके से लाया गया था। अदालत द्वारा  सूनाई सजा दुनिया में पहला फैसला है। जिसमें एक साथ 38  को मौत की सजा और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 
जब वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री मोदी ने पुलिस की पूरी मदद की। जरूरत पड़ने पर चार्टर्ड फ्लाइट की व्यवस्था की। विस्फोट के गवाहों ने अदालत में बहादुरी से गवाही दी। कोर्ट ने देश और दुनिया के इतिहास में पहली बार 38 लोगों को मौत और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 
शहर में पहला बम सिटीलाइट सर्कल पर सफाई कमीर्मी को मिला था
पहला बम सिटीलाइट सर्कल पर 27 जुलाई 2008 की सुबह उस समय मिला जब बेलदार लल्लू ठाकोर पटेल सफाई कर रहे थे। लल्लूभाई ने ट्रांजिस्टर को समझा और बम को नगर निगम की गाड़ी में गिरा दिया। 20 मिनट बाद बेलदार नुपुर सर्कल के पास गया और वहा पर उन्होंने यह ट्रांजिस्टर टेक्निकल असिस्टेंट कमलेश कृष्णकांत मोदी को दिखाया।  पुलिस ने बम निरोधक दस्ते की मदद से जांच में पाया कि यह ट्रांजिस्टर नहीं बल्कि बम था।
26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट हुआ था। इसे लेकर सूरत पुलिस भी सतर्क हो गई थी। जैसे ही बम मिले, अपराध शाखा के पीआई और पीएसआई सहित कुल 45 कर्मी जांच में शामिल हो गए। जांच के दौरान स्थानीय तनवीर पठान को घटना के मास्टरमाइंड के रूप में पहचाना गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। तनवीर की मदद से करीब 30 जगहों को तय किया गया और उनमें से 29 बम लगाए गए। 
पूछताछ के दौरान जहीर पटेल समेत दोनों भटकल बंधु और उनका इंडियन मुजाहिदीन से संबंध पूरी तरह साजिश साबित हुआ। तनवीर पठान के रिमांड की जांच की गई तो पता चला कि लोग पुणे-भरूच होकर आ रहे हैं। रेकी की जाती थी और भीड़-भाड़ वाली जगह पर बम लगाए जाते थे। जिसमें 5 और 10 मिनट के टाइमर सेट किए गए, जिससे  सिरियल विस्फोट हो और सबसे ज्यादा मौतें होने का अनुमान था।
शहर के अलग अलग स्थानों पर 13 दिनों में 23 जगहों से मिले बम थे
पहला जिंदा बम सिटीलाइट नुपुर अस्पताल के सामने मिला। 27 को कापोद्रा स्थित सीतानगर चौकड़ी व वराछा हीराबाग डॉक्टर हाउस के नीचे से एक कार व बम बनाने का जिंदा उपकरण मिला था।  28 को वराछा में एलएच रोड शक्ति विजय सोसायटी के ट्रांसफार्मर नीचे निचे से बम मिला था। जबकि 29 तारीख को वराछा बड़ौदा प्रेस्टीज , समर्पण टेक्सटाइल सेंटर के पास, रमजान अली बिल्डिंग के सामने  व मातावाड़ी बंसरिखान के सामने लगे पेड़ से बम मिला था। महिधरपुरा हीराबाजार के मयंक मेटलर के शटल के हिस्से से, वराछा ओवरब्रिज के पोल से, मोहन की चाल के पेड़ से, मोहन की चाल के सामने के पतरे से, भावना फोर्ड तक, गीतांजलि  तीन रास्ता अल्पा रेस्टोरंट पर बम मिला था। हीराबाग सर्कल के उपर ब्रिज के एंगल में भवानी जेम्स और सरदार पुलिस चौकी के पीछे क्रांति मैदान में घास में से बम मिला था। 
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