जानें सूरत के गाँववाले क्यों है सूअरों से परेशान!

जानें सूरत के गाँववाले क्यों है सूअरों से परेशान!

जंगली सूअर के कारण हर साल 30 से 40 प्रतिशत तक का नुकसान करना पड़ता है सहन

सूरत के 9 तहसीलों के 500 गांवों में किसानों को सूअरों के कारण काफी नुकसान सहना पड़ रहा है। आए दिन सूअरों द्वारा खेत के नकदी फसलों को नुकसान पहुंचाने के कारण किसानों को काफी आर्थिक नुकसान सहना पड़ रहा है। किसानों द्वारा इस बारे में बार-बार जंगल विभाग को भी शिकायत की गई, हालांकि इसके बाद भी आज तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है। 
किसानों की शिकायत के अनुसार, रात को करीब 2 से तीन बजे के बीच सभी सूअर झुंड में खेत में आते है और सुबह होते-होते भाग जाते है। हालांकि इसके बाद वह दिन भर कहाँ गायब होते रहते है, वह कोई नहीं जान पाता। ऐसे में छोटे-छोटे किसान जिनके पास अधिक आमदनी नहीं है, वह खेती भी छोड़ने को मजबूर हुये है। सूअरों के कारण फसल को होने वाली नुकसान के साथ-साथ जमीन को भी काफी नुकसान पहुंच रहा है। सूरत के बारडोली, चोर्यासी, कामरेज, महुवा, मांडवी, मांगरोल, ओलपाड, पलसाणा तथा उमरपाड़ा के गांवों में हर साल किसानों की 30 से 40 प्रतिशत फसल सूअरों द्वारा बर्बाद कर दी जा रही है। ऐसे में हर साल सूअरों के नुकसान से बचने के लिए कई किसान खेती भी छोड़ दे रहे है।
किसान सोसायटी गुजरात के प्रमुख दर्शन नायक ने जंगली सूअर के बढ़ते उत्पीड़न के बारे में कहा, ग्लोबल वार्मिंग के कारण हर साल किसान प्रभावित होते हैं। सरकार मुआवजे का भुगतान तभी करती है जब नुकसान 33% से अधिक हो। जंगली सुअरों ने किसानों के लिए एक नई समस्या खड़ी कर दी है, जहां एक भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। यह प्रताड़ना नहीं हटेगी तो किसान खेती कैसे करेंगे। रात के 2 से 3 बजे सूअर खेतों में घुस जाते हैं और फसल को नुकसान पहुंचाते हैं।
ओलपाड तहसील में 4 विघा में खेती कर रहे किसान हितेश पटेल कहते है कि, उन्होंने सूअरों को भगाने के लिए 10,000 से 11,000 रुपये की लागत से ज़टका मशीन लगवाई है। इस मशीन से करंट गुजरता है। सुअर जैसे ही बिजली के तार की बाड़ के संपर्क में आता है, उसमें एक छोटा सा करंट आता है और वह भाग जाता है। लेकिन हर किसान मशीन पर इतना खर्च नहीं कर सकता। छोटे किसान जो कि साल में मुश्किल से एक या दो फसल ही काटते हैं, वे इन लागतों को वहन नहीं कर सकते।