सूरत : अबोल जीवों के लिए काल बना उत्तरायण उत्सव, मृत पक्षियों को तापी किनारे दफनाया गया

सूरत :  अबोल जीवों के लिए काल बना उत्तरायण उत्सव, मृत पक्षियों को तापी किनारे दफनाया गया

पक्षियों की अंतिम यात्रा में पतंग नहीं उड़ाने की अपील की गई

शहर में उत्तरायण में मस्ती कर रहे पतंग प्रेमियों ने कई अबोल पक्षियों की जान ले ली थी। पिछले तीन दिनों में राज्य भर में हजारों पक्षियों की मौत हो चुकी है। जबकि हजारों पक्षी अब कभी उड़ने की स्थिति में नहीं हैं। केवल अपने सुख के लिए जीव मात्र के साथ जो क्रूरता की जाती है वह वास्तव में जीवदया प्रेमियों के लिए एक आघातजनक बात है। सूरत में तापी नदी के तट पर मृत पक्षियों को एक साथ दफनाया गया। अंतिम संस्कार के दौरान शोक की भावना से सभी से पतंग नहीं उड़ाने की अपील की गई। 
उत्तरायण पर्व के दौरान पतंग की डोर से कटकर मरने वाले कबूतरों और कौवे का जीवदया-प्रेमियों द्वारा अंतिम विधि किया गया। इस दौरान मृत पक्षियों को श्रद्धांजलि दी गई। तीन दिनों के दौरान मृत पक्षियों को शहर के कुछ इलाकों में एकत्र किया गया था। अधिकांश पक्षियों के शव धागों  या तारों से लटके पाए गए। ऐसे सभी पक्षियों को नीचे ले जाकर एकत्र किया गया। उत्तरायण  से पहले ही संगठनों द्वारा विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। लेकिन अभी भी लोगों में जागरूकता बहुत कम है। नतीजतन पक्षियों के उत्तरायण के दौरान होने वाली मौतों की संख्या कम नहीं होती है।
भानु मकवाना ने कहा कि जानकी जीवदया ट्रस्ट 2004 से कार्यरत है। ट्रस्ट स्कूलों में जाकर छात्रों को समझाने की भी कोशिश करता है। साथ ही लोगों को संदेश दिया गया कि  उत्तरायण पर्व के दिन पतंग चलाने की बजाय गाय माता को चारे के साथ-साथ दान-पुण्य कर उत्तरायण पर्व का उत्सव मनाये। साथ ही, माता-पिता को अपने बच्चों को कम उम्र से ही सिखाने की जरूरत है। हमारे शास्त्रों में  किसी त्योहार के उत्सव के दौरान किसी भी प्रकार की जीव हत्या हो यह स्वीकार नहीं है।  
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