सूरत : पतंग-धागा का कारोबार 25 करोड़ रुपये के होने अनुमान

सूरत : पतंग-धागा का कारोबार 25 करोड़ रुपये के होने अनुमान

धागा घिसने के भाव नहीं बोबिन की कीमत बढ़ी

 शहर में उत्तरायण में इस वर्ष  25 करोड़ रुपये के पतंग-धागा कारोबार होने का अनुमान है। शहर में धागा घिसने  की 250 दुकानें हैं। नवरात्रि के बाद से ही सभी ने धागा घिसकर तैयार फिरकी बनाने की शुरुआत कर दी थी। बोबिन की कीमत में 40 से 50 रुपये तक की वृद्धि हुई है,  लेकिन धागा घिसने के भाव नहीं बढ़ी है। हालांकि, उत्तरायण से पहले बमुश्किल 4 दिन बचे हैं, धागा घिसने के भाव भी बढ़ सकती है। पतंगों के दाम 20 फीसदी बढ़ने के बावजूद शहर में 1.5 करोड़ से ज्यादा पतंगें बिकेंगी।
शहर में मुख्य रूप से रांदेर में पतंगें बनाई जाती हैं। खंभात, जयपुर से भी पतंग मंगवाई जाती है। इस साल पेट्रोल-डिजल की कीमत में बढ़ोतरी से पतंग में उपयोग की जाने वाली सली, कागज एवं गुंदर के भाव में बढ़ने के कारण पतंग की कीमत में  20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। सूरती मांजो (धागा) हर साल सूरत से निर्यात किया जाता है। इस साल भी दुबई, अफ्रीका, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा समेत अन्य देशों को 40,000 से ज्यादा फिरकी का निर्यात किया गया है। कई सालों से पतंग-धागा के कारोबार से जुड़े एक व्यापारी ने कहा कि''पिछले दो सालों में इस साल बिक्री में 15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हाल के दिनों में बोबिन तथा धागा घिसने के भी कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
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