सूरत : प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार कर रहीं पश्चिम बंगाल की महिला फैशन डिजाइनर

सूरत  : प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार कर रहीं पश्चिम बंगाल की महिला फैशन डिजाइनर

फैशन डिजाइन का कोर्स कर फातिमा खान ने शुरू किया हाथ से बने सामान का कारोबार, 6 साल में 40 महिलाओं व 15 पुरुषों को दिया रोजगार

प्रसिद्ध ब्रांडों के व्यापारी हमसे कम कीमत पर हस्तनिर्मित वस्तुएँ खरीद रहे थे, इसलिए मेरे मन में यह विचार आया, क्यों न मैं अपना खुद का ब्रांड बनाऊँ? इस विचार को साकार करने के लिए वर्ष 2015 में पांच महिलाओं की मदद से बिना किसी रासायनिक पदार्थ का उपयोग कर हाथ से काम करके प्राकृतिक साड़ी सहित विभिन्न वस्तुओं को बनाना शुरू किया। आज मेरे साथ 40 महिलाएं और 15 पुरुष काम कर रहे हैं और मेरा सालाना टर्नओवर 80 लाख रुपये है।'
देश-विदेश में विभिन्न प्रदर्शनियों में हिस्सा ले चुकीं 33 वर्षीय फातिमा खान ने कहा, "मैंने दूसरों को रोजगार देने के लक्ष्य के साथ कम उम्र से ही अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया था।" जब मेरे पति एक निर्यातक के रूप में काम कर रहे थे, उन्होंने उनकी अनुमति से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया और रेशम के धागे से घरेलू हस्तशिल्प और केमिकल युक्त साड़ी सहित विभिन्न चीजें बनाना शुरू कर दिया। जिसमें ग्राहकों से पॉजिटिव फीडबैक और अधिक लाभ मिला। हमने चीजें बनाने के लिए जो काम किया, बड़ी कंपनियों ने हमसे खरीदा और अपने ब्रांड नाम के तहत बेचा। तो एक दिन पति ने कहा, 'हमें अपना खुद का ब्रांड बनाना चाहिए। हमने अपने पति  के सहयोग से पांच महिलाओं के साथ शुरुआत की। हाल में फातिमा खान सूरत लगे 10 दिवसीय हुनर हाट में अपनी स्टाल लगाई है। यहां भी उनकी कारीगरी लोगों को काफी पसंद आ रही है। 
फातिमा खान ने कहा, 'कई मुश्किलों के बावजूद हम बिना हारे आगे बढ़ने में सफल रहे। धीरे-धीरे अन्य महिलाएं जुड़ गईं। आज 40 महिलाएं और 15 पुरुष कुल 55 लोग हमारे साथ काम करते हैं और रोजगार प्राप्त करते हैं। हमने रेशम, प्रोपर मुसली कोटन (बंगाल में प्रसिद्ध), लिनन साड़ियां  और दुपट्टे बनाना शुरू कर दिया है। मैं हर साल 10 से अधिक प्रदर्शनियों में भाग लेता हूं, हमारे उत्पादों को विदेशों में निर्यात किया जाता है। मेहनत करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।

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