सूरत : हर्षोल्लास के साथ दिवाली पर्व मनाया, मंदिरों में लक्ष्मी पूजन, व्यापारियों ने की चोपड़ा की जगह लैपटॉप की पूजा

सूरत  : हर्षोल्लास के साथ दिवाली पर्व मनाया, मंदिरों में लक्ष्मी पूजन,  व्यापारियों ने की चोपड़ा की जगह लैपटॉप की पूजा

गणपति पूजन, लक्ष्मी पूजन और शारदा पूजन के बाद संतों ने पुस्तकों में कंकू से स्वास्तिक बनाया

भारतीय संस्कृति की परंपरा के अनुसार  दिवाली के सबसे पवित्र दिन लक्ष्मी पूजन और चोपड़ा पूजन किया जाता है। लाभ-हानि का पता तभी चल सकता है जब वर्ष के दौरान किए गए कार्यों के लिए वित्तीय रुपया लेनदेन खाता रखा जाए, जिसका अर्थ है कि व्यावसायिक रोजगार के साथ-साथ घरेलू बजट का रिकॉर्ड रखना आवश्यक है। वेड रोड स्वामीनारायण गुरुकुल में  पुस्तक (चोपड़ा) की पूजा की गई। 
स्वामी धर्मवल्लभदासजी स्वामी के मार्गदर्शन के अनुसार, पृथी स्वामी भक्ति तनयदासजी स्वामी ने चोपड़ा पूजन किया। प्रारंभ में गणपति पूजन, लक्ष्मी पूजन और शारदा पूजन के बाद संतों ने पुस्तकों में कंकू से स्वास्तिक  बनाया। युगानुसार अनुसार हार्ड कॉपी के साथ-साथ सॉफ्ट कॉपी-लैपटॉप कंप्यूटर में हिसाब  लिखने उसका भी पूजा की। इस अवसर पर स्वामीजी ने कहा कि भगवान श्री स्वामी नारायण ने 200 वर्ष पूर्व शिक्षापत्री में कहा था कि गृहस्थ ने अपने  उपज खर्च का नित्य प्रति सख्त रुप से लिखे। साथ ही उपज के हिसाब से खर्च करने की बात कही। नहीं तो बड़ा दुख होता है।
प्रभु स्वामी ने कहा कि लक्ष्मी तीन प्रकार की होती है। सात्विक, राजसी और तामसी। ईमानदारी से कमाया गया धन सुख देता है। दूसरों को दुःख पहुंचाकर रिश्वत आदि से कमाया लक्ष्मी सुख- शांति प्रदान करने वाली नहीं होती। यह व्यसन फैशन जैसे बर्वादी का मार्ग ही प्रशस्त करती है।  दिवाली अमावस के दिन, स्नान, अन्नदान, गर्म वस्त्रों का दान और दीप प्रज्ज्वलित करना बहुत फलदायी बताया गया है। अंत में प्रमुख स्वामी ने कहा कि अधिक मात्रा में पटाखा फोड़कर प्रदूषण न फैलाये, पशुपक्षियों, वृद्धों की परेशानी न बढ़ाए तो मां लक्ष्मी विशेष प्रसन्न होंगी। 
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