सूरत की यह दुकान है घारी बनाने में उस्ताद, बिना हाथ का स्पर्श किए बनाई जाती है सात प्रकार की घारी

सूरत की यह दुकान है घारी बनाने में उस्ताद, बिना हाथ का स्पर्श किए बनाई जाती है सात प्रकार की घारी

1 मिनट में बन जाती है 28 घारी; अमेरिका, केनेडा और ब्रिटेन जैसे देशों से आते है सैंकड़ों ऑर्डर

कोरोना महामारी के डेढ़ महीने के समय के बाद अब राज्य में विभिन्न त्योहारों को मनाने की अनुमति दी जा रही है। ऐसे में शरद पुर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले खास त्योहार चंदनीपड़वा के खास त्योहार पर इस बार काफी अपेक्षा रखी जा रही है। सूरत में पुर्णिमा की रात को घारी, फरसाण और घेवर खाने की परंपरा चली आ रही है। इस साल भी सुरतियों में घारी खरीदने का क्रेज काफी दिखा दे रहा है। ऐसे में सुमुलडेयरी द्वारा इस बार केसर-बादाम-पिस्ता और शुगर-फ्री घारी का 100 टन बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि आज हम आपको सूरत की एक ऐसी दुकान के बारे में बताने जा रहे है, जहां बिना मानव हाथ का स्पर्श किए घारी का निर्माण किया जाता है।
सूरत के चौटाबाजार में आई 123 साल पुरानी जमनादास घारीवाला की दुकान में आधुनिक मशीनों की सहायता से घारी बनाना शुरू किया गया था। जमनादास घारीवाला पेढ़ी के कुंजन कहते है कि शहर में एक भी मिठाई की दुकान में घारी बनाने की मशीन नहीं है। इस मशीन में कम से कम मानव स्पर्श कर घारी बनाया जाता है। जहां 3 आदमी एक साथ मिलकर 1 मिनट में 15 घारी बनाते है। वहीं मशीन में 1 मिनट में 28 घारी बन जाती है। इस साल भी अमेरिका, ब्रिटेन और केनेडा से केसर-बदाम-पिस्ता तथा मावा घारी के उपरांत शुगर फ्री घारी और चॉकलेट घारी सहित 7 प्रकार की घारी बनाई जाती है। 
जमनादास घारीवाला की दुकान के अलावा शहर के राजमार्ग पर आई ठाकोर मिठाई वाला की दुकान में भी सोने के आवरण वाली गोल्ड घारी भी लोगों की चर्चा का केंद्र बनती है। इस घारी के एक पीस की कीमत 450 रखी गई है। इसे बनाने के लिए पूरी तरह ए कोटिंग होने के बाद उसके ऊपर सोने की परत चढ़ाई जाती है। सुमुल डेयरी के मार्केटिंग मैनेजर मनीष भट्ट का कहना है की दशहरे के बाद से तीन दिन के व्यापार में 60 प्रतिशत घारी की बिक्री हो गई है। अभी भी 2 से तीन दिन घारी की बिक्री होगी। पिछले साल कोरोना के कारण अधिक लोग घारी का आनंद नहीं ले पाये थे। ऐसे में इस बार अधिक से अधिक लोग घारी की मिजबानी करेंगे ऐसी आशा है।
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