सूरत : महिला एवं बाल अधिकारी कार्यालय में घरेलू हिंसा पर सेमिनार का हुआ आयोजन

सूरत : महिला एवं बाल अधिकारी कार्यालय में घरेलू हिंसा पर सेमिनार का हुआ आयोजन

आज के बदलते युग में लोग साक्षर हैं लेकिन शिक्षित बहुत कम हैं

महिला एवं बाल अधिकारी सूरत और सचिन लोक विकास संस्था द्वारा बहनों के लिए एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया, ताकि महिलाओं को घरेलू हिंसा के बारे में कानूनी जानकारी दी जा सके और खुद को कैसे बचाया जा सके और इसके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जा सके।  उपस्थित महिलाओं को राज्य सरकार की विभिन्न महिला उन्मुख योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई जिसमें महिलाओं से संबंधित कानून, पुलिस प्रक्रिया और पुलिस सुरक्षा शामिल है।
 इस अवसर पर लोक विकास संस्थान की प्रमुख सोनलबेन श्रॉफ ने प्रतिभागियों को घरेलू हिंसा  किये कहाल जाता है और इससे कैसे बचा जाए और कानूनी पुलिस प्रक्रिया क्या है, इस पर गहन जानकारी दी। केंद्र की निदेशक ममता बनर्जी ने सखी वन स्टॉप योजना की जानकारी देते हुए कहा कि महिलाओं को अधिक साहसी होने और घरेलू हिंसा को बर्दाश्त नहीं करने की जरूरत है। जिन महिलाओं को संगठन से सहायता की आवश्यकता होगी, उन्हें संस्था द्वारा सभी प्रकार की कानूनी सहायता नि:शुल्क प्रदान की जाएगी। पीबीएससी सेंटर की काउंसलर मरियमबेन गामित ने केंद्रों को हिंसा की प्रकृति से अवगत कराया और मूल कारण तक पहुंचने के लिए सटीक मार्गदर्शन दिया।
नारी संरक्षण गृह योजना, 181 अभय महिला हेल्पलाइन ने आश्वासन दिया कि शहर-जिले में कोई भी महिला पीड़ित होगी या पीड़ित महिला के बारे में मुखबिर की सभी जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा। सोनलबेन राठवा, पीएसआई, उमरा पुलिस स्टेशन ने घरेलू हिंसा के मामले में पुलिस प्रक्रिया और पुलिस सुरक्षा के साथ-साथ संविधान के प्रावधानों और सजा के प्रावधान की गहन जानकारी दी।
महिला कल्याण अधिकारी स्मिताबेन पटेल ने राज्य सरकार द्वारा जारी योजनाओं में गंगा स्वरूप वित्तीय सहायता, गंगा स्वरूप पुनर्विवाह वित्तीय सहायता के साथ ही स्वावलंबन योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी। दहेज निवारण संरक्षण अधिकारी राधिकाबेन गामित ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 के तहत घरेलू हिंसा के प्रकारों और उनके खिलाफ कार्रवाई करने के तरीके के बारे में जानकारी प्रदान की। लोक विकास संस्था  ट्रस्टी नरेशभाई वारिया ने कहा कि रामायण काल ​​में सीता ने जो दर्द सहा था, आज की महिलाओं को वह दर्द नहीं सहना पड़ता। आज के बदलते युग में लोग साक्षर हैं लेकिन शिक्षित बहुत कम हैं। हमारे शास्त्रों में महिलाओं को देवी के रूप में सम्मान दिया जाता है, लेकिन आज की दुनिया में महिलाओं को देवी या देवता न माने तो ​​ठीक है, लेकिन उन्हें एक आम आदमी की तरह जीने का पूरा अधिकार है?  हम उसे घरेलू हिंसा आड में वंचित नहीं कर सकते। महिला एवं बाल अधिकारी श्वेताबेन देसाई ने मुख्य भाषण दिया।
सचिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. नृपंग कीका गणेशवाला ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ से जुड़े कुछ खास मुद्दों पर दर्शकों का ध्यान खींचा। उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा व्हाली दिकरी योजना के तहत जारी योजना के बारे में भी जानकारी दी। संगोष्ठी में एलबीएस  के हितेश पटेल, चेरोन जैन और आशाबहेनो सहित आसपास के क्षेत्रों की बहनों ने भाग लिया। अंत में उपस्थित पदाधिकारियों ने उपस्थित बहनों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया। 
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