सूरत : रेमडेसीवीर वितरण मामले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पाटिल को राज्य सरकार की क्लीन चिट

सूरत : रेमडेसीवीर वितरण मामले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पाटिल को राज्य सरकार की क्लीन चिट

गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनानी की ओर से दायर गैर-प्रकटीकरण याचिका पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई

कोरोना काल के दौरान संजीवनी बूटी की तरह महत्वपूर्ण बन चुके रेमेडिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी, जमाखोरी और वितरण के मुद्दे पर गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल और अन्य के खिलाफ एक याचिका में सरकार ने पाटिल का नाम लिए बिना क्लीन चिट दे दी है।
आपको बता दें कि गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनानी की ओर से दायर गैर-प्रकटीकरण याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य सरकार और विधायक हर्ष सांघवी ने मंगलवार को अपना जवाब सौंप दिया। दूसरी ओर, परेश धनानी के वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था, जिसे उच्च न्यायालय ने मंजूर कर लिया। इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने सीआर पाटिल को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है और आगे समय नहीं देने की बात कही। सरकार ने जवाब दिया है, ''इस मामले में सूरत के सहायक आयुक्त ने सूरत के भाजपा नेताओं और कतरगाम के विधायक से पूछताछ की थी। जिसके आधार पर प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी गई है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।
इस मामले में सरकार ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि "जांच के दौरान प्रस्तुत विवरण, इसमें शामिल कंपनियां और अभी तक प्रारंभिक जांच में शामिल व्यक्ति ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 190 और इसके प्रावधानों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करते मिले हैं। उच्च न्यायालय में परेश धनानी के वकील ने कहा, "ऐसे समय में जब रेमेडिविर इंजेक्शन बड़ी कठिनाई से प्राप्त किए जा रहे थे तब सीआर पाटिल ने अवैध रूप से जमा कर रखा था। साथ ही उन्होंने अपने हिसाब से वितरित किया था। हर्ष संघवी ने जवाब दिया, "यह याचिका मात्र राजनीति से प्रेरित है और पब्लिसिटी स्टंट के लिए है। सीआर पाटिल पर लगे सभी आरोप झूठे हैं।'