सूरतः अंतर-राज्यीय चोर गिरोह के 10 गिरफ्तार, 14 पुलिस थानों में हुए चोरी के भेद खुले

सूरतः  अंतर-राज्यीय चोर गिरोह के 10 गिरफ्तार,  14 पुलिस थानों में हुए चोरी के भेद खुले

अंतरराज्यीय गिरोह के 10 सदस्यों को गिरफ्तार करने में पुलिस को बड़ी सफलता मिली

शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में घर में चोरी करने वाली अंतर्राज्जीय गिरोह को सूचना के आधार पर, पुलिस ने गिरफ्तार कर आगे की जांच शुरु की है। पुलिस ने मोटा वराछा गांव के पास लेक गार्डन के करीब से पकड़े गए गिरोह के पास से सोने और चांदी के आभूषण, नकदी और चोरी में उपयोग किये जाने वाले उपकरण जब्त किए हैं। पुलिस ने 14 पुलिस स्टेशनों में अपराधों का पता लगाने और अंतरराज्यीय गिरोह के 10 सदस्यों को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हासिल की है।
पुलिस आयुक्त अजय तोमर ने कहा कि पिछले चार महीनों से, वह सूरत में इस तरह के खुले स्थान में डेरा डाले हुए थे और अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए दिन के दौरान गुब्बारे बेच रहे थे। देवा पारधी, रुकेश चोटली, सचिन पारधी, कालू और राजकुमार सूरत शहर के आसपास के इलाके में  इलाकों में रेकी करते थे और रात में चोरी करते थे। इस काम के लिए, वे दोपहर के चार से पांच बजे के आसपास ऑटो रिक्शा में बैठते थे, विभिन्न क्षेत्रों में खुले स्थान के पास वीआईपी बंगलों को निशाना बनाते थे। शाम सात बजे, वे एक रिक्शा में लौट जाते थे। 
जिस स्थान पर रेकी का अभ्यास किया गया था उसका नाम पता रिक्शा चालकों से  कागज पर लिख लेते थे।  फिर, रात के आठ बजे से पहले, गिरोह के पुरुष अलग-अलग ऑटो रिक्शा में बैठते थे और रेकी क्षेत्र में घूमते थे। रात को खाली जगह में बिताने के बाद, राजकुमार, रुकेश चोटली, सचिन, कालू, देव पारधी ने अपने सारे कपड़े उतारतक चड्ढी बनियान पहन लेते थे और कपड़े अपनी लुंगी में लपेट कर कमर में बांध लेते थे। एक थैले में  बड़ी-बड़ी पेटियों, हाथ से मुड़ने वाली ड्रिल शीट्स, वायर-कटिंग ग्रिप्स, लोहे की कैन, छोटी लोहे की गेनशीयू जैसी खिड़कियां, छोटी बैटरी आदि उपकरण रख लेते थे। 
आरोपियों ने शहर  में डेरा डालने के दौरान दिन में गुब्बारे बेचने के धंधे में लगे थे और उस समय खुली जगह के पास बंग्लोज हो तो ऐसे जगह की रेकी कर रात्रि के समय बनाये योजना के अनुसार जगह पर कफ्यु से पहले पहुंचकर चड्ढी बनियान पहनकर चार-पांच घंटे छिप जाते थे। इसके बाद  फिर रात्रि 1.30 से 4 बजे के बीच, उन्होंने बंगले की खिड़की की ग्रिल तोड़ कर अंदर प्रवेश करते थे।  उसी समय रसोई में रखे खाने की वस्तु को खा भी लेते थे। इस दरम्यान अगर कोई आदमी जागता था, तो वे उस पर पत्थरों से हमला करते थे। 
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