रिश्वत छोटी-बड़ी नहीं होती; 14 साल पहले 100 रुपये लेते पकड़ाए थे, अब 2 साल की हुई सज़ा

रिश्वत छोटी-बड़ी नहीं होती; 14 साल पहले 100 रुपये लेते पकड़ाए थे, अब 2 साल की हुई सज़ा

साल 2021 में सात में से 4 केसों में ACB ने सुनाई सजा, रिश्वत लेते वक्त रंगे हाथ पकड़े गए थे सीनियर क्लार्क

रिश्वत लेना बुरी बात है, चाहे रिश्वत छोटी हो या बड़ी पर वो रिश्वत ही होती है और हर गलती के लिए सजा भी पूर्वनिर्धारित ही होती है। कुछ ऐसा ही हुआ सूरत में, जहां 14 साल पहले फर्म के रजिस्ट्रेशन के लिए 100 रूपए रिश्वत लेते समय रंगे हाथ पकड़े गए सीनियर क्लार्क को दोषी करार देते हुये 2 साल की कैद और 10 हजार का दंड किया था। यहीं नहीं यदि तय समयमर्यादा में दंड ना भरा गया तो 3 महीने की और भी कैद बढ़ाने के आदेश दिया था।  
100 रुपए मांगे थे शिकायतकर्ता से
एंटी करप्शन ब्यूरो को बहुमाली भवन में रजिस्ट्रार ऑफ फार्म कार्यालय में सीनियर क्लार्क के तौर पर ड्यूटी करने वाले आरोपी दिलीप सिंह खुमान सिंह यादव फर्म के रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र के लिए 100 से 500 की रिश्वत लेते हैं यह शिकायत मिली थी। इसकी जांच के लिए एक सीए फर्म के साथ जुड़े शख्स को ज्वेलर्स फर्म का सर्टिफिकेट लेने के लिए भेजा था। जिससे काम करवाने के लिए सीनियर क्लार्क ने पैसे मांगे थे। 16 मार्च 2007 को ज्वेलर्स फर्म के रजिस्ट्रेशन के लिए गए। शख्स से आरोपी दिलीप सिंह यादव ने 100 रूपए मांगे। रिश्वत लेते समय एसीबी के हाथों रंगे हाथ पकड़ा गए। 
कोर्ट ने कहा समाज में बनी रहे व्यवस्था
एसीबी ने भ्रष्टाचार अधिनियम 7, 13(ए) तथा 13(2) के अंतर्गत सीनियर क्लार्क के तहत मामला दर्ज कर लिया था। इसके बाद आरोपी दिलीप कुमार सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया गया था। बीते 14 साल से चल रहे इस केस में सरकार की ओर से एबीपी भद्रेश दलाल ने दलीलें की थी। एसीबी की विशेष अदालत ने आरोपी को दोषी करार माना है। कोर्ट ने बताया कि समाज में कानून व्यवस्था और शासन बना रहे और कोई व्यक्ति कानून पर हावी ना हो इसलिए योग्य सजा देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि 2021 के साल में एसीबी ने किए सात केसो में से 4 मामलों में लांच लेने वाले अधिकारियों को आरोपियों को सजा सुनाई गई है।

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