सूरतः 70 साल पुरानी परंपरा टूटी, जाने किस तरह मनाया जाता था होली का त्यौहार

ओलपाड के सरस गांव में होली के अंगारे पर चलना प्रतिबंध, होलिका दहन भी सामाजिक दूरी के साथ हुआ

महामारी को देखते हुए ग्रामीणों सामाजिक दूरी बनाए रखने को लेकर ग्रामीणों का निर्णय  
ओलपाड के सरस गाम में नंगे पैर होली के अंगारे में चलने की भक्तों की मान्यता होने से वर्षों से  होली त्योहार के दौरान वर्षों से चली आ रही परंपरा को कोरोना महामारी को लेकर टूट गया।  कोरोना महामारी के कारण, ग्रामीणों ने होली के मौके पर चलने के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। होली का त्यौहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। वहीं ओलपाड के सरस गाँव में भी होली का त्यौहार अनोखे रुप से मनाता जाता है। सरस गाँव में गांव के बीच में होली जलाने के बाद, ग्रामीण अपनी मान्यताओं को पूरा करने के लिए होली के जलते अंगारों से नंगे पैर चल आ रहे हैं। लेकिन इस बार प्रतिबंधित किया गया है। 
यह परंपरा 70 सालों से चली आ रही है
 एकमात्र ओलपाड तालुका में एक अनोखे तरीके से श्रद्धापूर्वक होली के त्यौहार का मनाया जाता है, जिससे सूरत शहर के साथ तालुका के गांवों के लोग बड़ी संख्या में भाग लेने और होलिका देखने के लिए यहां आते हैं। होली के अंगारों पर चलने की परंपरा सरस गाँव में 70 सालों से चली आ रही है। होली माता की पूजा करने के बाद, पास के गाँव की झील में युवा से लेकर बूढ़े तक के लोग स्नान कर होली के जलते अंगारे में नंगे पैर चलते हैं। नंगे पैर चलने के बावजूद किसी के भी पैर में कुछ भी नहीं होने से भक्तों की श्रद्धा एवं आस्था बढ़ने सो बड़ी संख्या में लोग आते हैं। 
कोरोना के दिशानिर्देश का पालन मनाई गई होली 
मौजूदा वैश्विक कोरो महामारी के कारण जनसमूह के साथ होली के त्यौहार मनाने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। साथ ही साामजिक दूरी नहीं बनाये रखने से वैश्विक कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए ग्रामजनों द्वारा लोक हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेने से होली के अंगारों पर नंगे पैर चलने की 70 साल पुरानी परंपरा टूट गया। गांव के अग्रणी बृजेशभाई पटेल के अनुसार, गांव के बीच में होली जलाई गई, जिसमें सामाजिक दूरी रखते हुए पूजा अनुष्ठान करने के लिए पर्याप्त देखभाल की गई।
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