सूरतः वेतन के मुद्दे को लेकर सिविल अस्पताल में हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही

सूरतः वेतन के मुद्दे को लेकर सिविल अस्पताल में हड़ताल  दूसरे दिन भी जारी रही

सूरत सिविल अस्पताल में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से मरीज, 108 कर्मचारी और पुलिस सहित कई लोग परेशान

मरीजों को स्मीमेर  अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया गया
सूरत के सिविल अस्पताल के ठेकेदार पर वर्ग -3 और वर्ग -4 सफाई कर्मचारियों ने बुधवार को दो महीने के वेतन बकाया की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए। हालाँकि बाद में किया गया, लेकिन 200 रुपये से लेकर 500 रुपये का कम भुगतान किया गया था। इसलिए हड़ताल जस की तस बनी हुई है। हड़ताल के दूसरे दिन गुरुवार को कर्मचारियों ने दबाव बढ़ाने के लिए सिविल अस्पताल में मरीजों के लिए भोजन की रसोई को बंद करने की कोशिश की। यह हड़ताली श्रमिकों की रसोई की ओर आने वाले प्रशासन द्वारा रसोई के गेट को बंद करने से खाना बनाने की बारी आई पड़ी। 
मरीजों को स्मीमेर भेजना पड़ रहा है
सूरत सिविल अस्पताल में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल से मरीज, 108 कर्मचारी और पुलिस सहित कई लोग परेशान हुए हैं। सूरत के सभी स्थानीय 108 को 24 घंटे की हड़ताल के लिए मरीजों को स्मीमेर  अस्पताल ले जाने का निर्देश दिया गया है। जबकि जिले के 108 मरीजों को स्मीमेर अस्पताल में भर्ती कराना है। इतना ही नहीं, लेकिन बुधवार की रात पाली में ट्रोमा सेन्टर में परिवार ने स्ट्रेचर ब्वाय बनकर मरीज को खींचकर ,मरीज को एक्स-रे, सोनोग्राफी, इत्यादि के बाद वार्ड में ले जाने की नौबत आई। 
बलात्कार के दो मामले और 5-6 पुलिस स्टेशन के शराबी मामलों को नमूने के बिना वापस करना पड़ा। लाजपोर के एक कैदी को भी अधूरे इलाज के बाद वापस भेजना पड़ा। दूसरी ओर,जहरीली दवा पीकर आत्महत्या करने की खोशिक करने वाली महिला मरीज के नमूने लिये बिना उपचार देने की नौबत आ गई थी।   यह पता चला है कि जिन डॉक्टरों ने न केवल सूरत सिविल अस्पताल में सफाई कर्मचारियों के महत्व को समझा, बल्कि सभी उपचार केंद्रों में हड़ताल खत्म करने और रोगियों के हित में समझौता करने के लिए आगे आने के समाधान के साथ आए हैं।
रात भर हड़ताल जारी रही
दिन में पुलिस के साथ झड़प के बाद रात में हड़ताल जारी रही। मजदूरों ने अपने मुद्दों के हल होने तक हड़ताल जारी रखने का फैसला किया है। इसलिए हड़ताली सफाईकर्मी मरीजों के लिए बनते भोजन को बंद करने के लिए रसोई में चले गए। हालांकि, दबाव बढ़ाने आये कर्मचारियों को देखकर ,प्रशासन ने पहले से ही रसोई के दरवाजे को बाहर से बंद कर दिया था, जिससे  रोगियों के  भोजन व्यवस्था की तैयारी करने की नौबत आई थी।
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