गुजरात : विधानसभा चुनाव और शादियों का मौसम एक साथ, कहीं बेरंग न हो जाए सारा आयोजन

गुजरात : विधानसभा चुनाव और शादियों का मौसम एक साथ, कहीं बेरंग न हो जाए सारा आयोजन

चुनाव पर भी पड़ेगा शादियाँ का असर,वोटिंग प्रतिशत में आ सकती है कमी

विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक दलों में उधेड़बुन तो बढ़ ही गयी है, लेकिन इसके साथ ही प्रत्याशियों के दिलों की धड़कन भी तेज हो रही है। इसका कारण यह है कि चुनावी मौसम और शादियों का मौसम दोनों एक ही समय पर आ रहे हैं। कई सामान और सेवाएं जैसे रसोइया, कैटरर्स, पार्टी प्लॉट, वाहन, मंडप सेवा, वीडियोग्राफर, इन सबकी आम तौर पर चुनाव और शादियों के दौरान मांग में होते हैं। ऐसे में जिन परिवारों के घर में शादी होनी है उन्हें इन सभी आयोजन को पूरा करने के लिए न सिर्फ जद्दोजहद का सामना करना पड़ेगा बल्कि अनुमान है कि सामान्य से कई गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। ऐसे में इस वजह से चुनाव का बिगुल शादी के संगीत को बिगाड़ सकता है।

देवौथी एकादशी के साथ शादियों का सीजन शुरू


आपको बता दें कि कल 4 नवंबर को गुजराती संस्कृति के अनुसार देवौथी एकादशी थी। इस देवौथी एकादशी के बाद से ही शादियों का सीजन शुरू होता है। ये मुहूर्त अब 14 दिसंबर तक रहेगा। इस दौरान डेढ़ महीने तक अच्छे मुहूर्त के कारण विवाह का सीजन होता है। इसके लिए शादी की तैयारियां एक साल पहले से ही शुरू हो जाती हैं। इस बार भी जिन परिवारों की वहां शादी हो रही है, उन्होंने एक साल पहले वाहन बुकिंग, गोर महाराज बुकिंग, पार्टी प्लॉट बुकिंग, कैमरामैन और वीडियोग्राफर बुकिंग, कैटरर्स और मंडप सेवा बुकिंग, बैंड बुकिंग सहित सभी बुकिंग कर ली है।

चुनाव आचार संहिता के कारण शादी के लिए मंजूरी हासिल करना भी एक मुश्किल काम


आपको बता दें कि चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है, और 1 और 5 दिसंबर को होने वाले मतदान के को लेकर तैयारियां पहले से ही पूरे जोरों पर है।अब आचार संहिता के दौरान चुनाव प्रचार जोर-शोर से चलेगा। जनसभाएं, जुलूस, रैलियां और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। राजनीतिक दल मतदाताओं को आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन उम्मीदवारों और उनके परिवारों में इस बात को लेकर चिंता है कि शादी में जिन चीजों और व्यवस्थाओं की आवश्यकता होती है, वे वही व्यवस्थाएं चुनाव में आवश्यक होती हैं। चुनावी मौसम और शादियों का सीजन समानांतर चलने से इसका सीधा असर शादियों के सीजन पर पड़ेगा। चूंकि चुनाव आचार संहिता के चलते विवाह समारोह से संबंधित सभी स्वीकृतियां प्राप्त करने के लिए भी मामलातदार और पुलिस व्यवस्था में काफी धक्का-मुक्की और प्रताड़ना झेलनी पड़ेगी। चुनाव ने विवाहित परिवारों में असमंजस की स्थिति को और बढ़ा दिया है।

कोरोना गाइडलाइंस से बाहर निकले तो अब चुनाव में फंसे 


गौरतलब है कि साल 2020 और 2021 पूरी तरह से कोरोना के असर में गुजर गए। शादी जैसे शुभ मुहूर्त भी हों तो भी कोरोना की गाइडलाइंस के चलते या तो सीमित संख्या में आयोजन करना पड़ा या फिर परिवार के रिश्तेदारों को घर पर ही कार्यक्रम आयोजित करना पड़ा। साल 2020 में भी शादी समारोह संभव नहीं था।2021 में सरकार के कोरोना दिशानिर्देशों और एसओपी का पालन करते हुए सीमित संख्या में, सीमित स्थान और सीमित रात्रिभोज के साथ शादी समारोह आयोजित करना पड़ा। इस साल कोरोना सिर्फ नाम का रहा है, वहीं शादी के इच्छुक लोगों का कहना है कि इस साल शादी रंगारंग तरीके से होगी। लेकिन इस साल चुनाव का ग्रहण छा चुका है। इससे ऐसी स्थिति निर्मित होना सौभाग्य की बात है कि पूरी योजना आसानी से पूरी हो सके।

दिसंबर के पहले हफ्ते में ही कम से कम 35,000 शादियां: वोटिंग प्रतिशत गिरने की आशंका


गुजरात विधानसभा चुनाव 1 और 5 दिसंबर को होने हैं, लेकिन दिसंबर के पहले हफ्ते में ही पूरे राज्य में 35 हजार शादियां होनी हैं। देव उठानी एकादशी के बाद विवाह का मौसम शुरू हो जाता है। खासकर 2, 4 और 8 दिसंबर शादी के लिए शुभ हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर इसी हफ्ते 35 हजार शादियां होने वाली हैं तो पहली और पांचवीं को होने वाले मतदान प्रतिशत पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है।