गुजरात : चुनाव के पहले गरमाया पेंशन का मुद्दा, सोमवार को कर्मचारियों ने की हड़ताल

गुजरात : चुनाव के पहले गरमाया पेंशन का मुद्दा, सोमवार को कर्मचारियों ने की हड़ताल

राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन प्रणाली को फिर से शुरू करने, निश्चित वेतन प्रणाली को खत्म करने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर एक दिवसीय हड़ताल की

इस साल के अंत तक गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। चुनाव के मद्देनजर पेंशन का मामला फिर गरमा गया है। सोमवार को राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन प्रणाली को फिर से शुरू करने, निश्चित वेतन प्रणाली को खत्म करने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर एक दिवसीय हड़ताल की। गुजरात राज्य संयुक्त कर्मचारी मोर्चा (GSUEF) के बैनर तले गांधीनगर में सत्याग्रह शिविर में लगभग सभी सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
बता दें कि 2005 में बंद कर दी गई पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग के अलावा कर्मचारियों ने अनुबंध प्रणाली और निश्चित वेतन प्रणाली के माध्यम से नियुक्तियों को समाप्त करने की भी मांग की। संघ के बाद, सरकारी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को एक आवेदन प्रस्तुत किया कि वे सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के लिए जिम्मेदार हैं और उनकी सरकार को सातवें वेतन आयोग की सभी सिफारिशों को स्वीकार करना चाहिए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जीएसयूईएफ के समन्वयक और गुजरात प्राइमरी स्कूल टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव सतीश पटेल ने कहा, ''हम अपनी मांगों को रखने के लिए मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय मांगेंगे। अगर हमें सरकार से अनुकूल प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो हम अपनी अगली कार्य योजना की घोषणा करेंगे।''
उन्होंने कहा कि राजस्व, स्वास्थ्य, पंचायत, मत्स्य पालन और अन्य विभागों के कर्मचारियों ने दिन भर के धरना में हिस्सा लिया। पटेल ने दावा किया कि करीब एक लाख श्रमिकों ने काम से छुट्टी लेकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए थे।
गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले कुछ समय से पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा उठा रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस शासित राज्यों में भी पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया गया है। ऐसे में बीजेपी शासित राज्यों पर भी काफी दबाव है। कई राज्य सरकार के कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में चुनावी माहौल में कांग्रेस भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठा सकती है।
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