गुजरात : चार लोगों की एक टीम ने खोजा डांग में एक लुप्तप्राय प्राणी
By Loktej
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हाल ही में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'जर्नल ऑफ थ्रेटन टेक्सास' ने भी पुष्टि की है कि 70 साल बाद गुजरात में दिखाई दिया धोल
गुजरात में लुप्त ही चुकी प्रजाति को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई यही। एक शोध में इस बात के प्रमाण मिले हैं कि डांग के जंगल में लुप्तप्राय 'धोल' जानवर मौजूद है। धोल देश की लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है। दरअसल धोल को घटती आबादी के बाद दुनिया भर में लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में इस जानवर का नाम शामिल किया गया था। इस बीच, दावा किया गया था कि ये जानवर डांग सहित गुजरात के कुछ वन क्षेत्रों में दिखाई दिया था। हालांकि कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाने के कारण वन विभाग ने धोल को गुजरात से विलुप्त प्रजाति ही माना। ऐसे में नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के वन्यजीव विभाग और दक्षिण डांग वन विभाग द्वारा धोल की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए एक शोध किया गया था।
इस शोध दल में डॉ. आदिल काजी, दिनेश रबारी, नवाज दह्या और डॉ. साल्वाडोर लिंगाडो शामिल हुए। उन्होंने लगातार 5 महीनों तक डांग वंसदा के जंगलों में घूमते रहे और 15,660 ट्रैप नाइट्स में 35,206 तस्वीरें और 481 वीडियो फुटेज एकत्र करने के लिए विशिष्ट स्थानों पर कैमरे लगाए। इन तस्वीरों और वीडियो में से 149 तस्वीरों और 22 वीडियो में ये प्राणी नजर आया है। इस प्रमाण के अनुसार धोल के अधिकांश चित्र केवडी और काला आम क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं।
आपको बता दें कि धोल का आखिरी ऐतिहासिक रिकॉर्ड दिग्वीरेंद्रसिंह द्वारा 1949 में वंसदा नेशनल पार्क में खींची गई तस्वीर है। इस शोध के बाद हाल ही में प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'जर्नल ऑफ थ्रेटन टेक्सास' ने भी पुष्टि की है कि धोल 70 साल बाद गुजरात में दिखाई दिया है। दरअसल धोल' एक जंगली जानवर है जो कुत्तों के समूह में शिकार करता है। वैज्ञानिक रूप से भेड़िये की तुलना में लोमड़ी के करीब, यह जानवर नम और सूखे, पर्णपाती जंगलों में रहना पसंद करता है। इसका पसंदीदा शिकार चीतल और कृपाण है। हालाँकि, उसने भैंस, पक्षियों, भेड़ और बकरियों, जंगली सूअर, खरगोश और छिपकलियों का भी शिकार किया है। वर्तमान में धोल की पुष्टि केवल डांग के जंगल में ही हुई है, लेकिन इसके शूलपनेश्वर सहित जंगलों में भी पाए जाने की संभावना है।