गुजरातः राज्य के इस शहर में देश का पहला '7 लेयर' मास्क का उत्पादन शुरू

गुजरातः राज्य के इस शहर में  देश का पहला '7 लेयर' मास्क का उत्पादन शुरू

राजकोट में उत्पादित '7 लेयर' मास्क की सात समुद्र पार विदेशों में भी मांग

हजारों गुजराती कठिन समय में बाहर निकलने का रास्ता खोज लेते हैं और दूसरों को सफल होने के लिए प्रेरित करते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है राजकोट के मेटोडा जीआईडीसी में लैडेक्स अपैरल नामक एक कपड़ा कारखाने के मालिक एवं युवा उद्यमी भावेशभाई बुसा।  
आपदा को अवसर में बदलने की गुजरातियों की प्रवृत्ति के अनुसार, पिछले साल कोरोना की स्पोर्ट्स वियर बनाने वाली कंपनी को ऑर्डर मिलना बंद हो गया था। इस दौरान राजकोट कलेक्टर रेम्या मोहन ने उद्योगपतियों को वेंटिलेटर, पीपीई किट के साथ-साथ मास्क बनाने के लिए प्रेरित किया।
भावेशभाई ने भी मास्क बनाने का फैसला किया। उस समय बाजार में एन-95 मास्क की मांग अधिक थी और मंहगा होने से  स्वाभाविक रुप से हर कोई इसे खरीद नहीं सकता था। इसलिए मैंने फैसला किया कि सभी को पोसाय इस तरह चालू बल्कि गुणवत्ता युक्त तथा कुछ अलग लोगों को दिया जाए।  भावेशभाई और उनकी टीम ने बाजार में उपलब्ध एन-95 मास्क की तुलना में मास्क को अधिक टिकाऊ और सुरक्षित बनाने के लिए एक डबल फिल्टर्ड, सात परत वाला मास्क तैयार किया। जिसमें बैक्टिरिया फिल्टिर्ड मटीरियल के रुप में मेल्ट ब्लोन एवं स्पीन बाउंडेड लेयर फाइव इन वन मटीरियल जो भारत भर में मात्र दो कंपनी जिसमें जिंदल कंपनी का स्टैंडर्ड मटीरीयल्स में से मास्क बनाना तय किया।  इसके अलावा, ट्रिपल सुरक्षा के लिए, पॉलिएस्टर कपड़े की एक परत और अंदर की तरफ एक कपास की परत बनाकर 'पाइटेक्स' ब्रांड के साथ मास्क का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया गया था।
कंपनी के पास पहले से ही 55 जापानी सिलाई मशीनें थीं, जिनमें एक अत्याधुनिक स्वचालित कटिंग मशीन भी शामिल थी, लेकिन बुनियादी ढांचे और सामग्रियों के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होने से उन्हे ऋण लेने की जरुरत पड़ी।  जिला उद्योग केंद्र के साथ केंद्र उन्हें गुजरात औद्योगिक नीति-2015 के तहत एमएसएमई उद्योग को ऋण और पूंजी और ब्याज में सब्सिडी के अलावा ऋण प्रदान करता है। राज्य सरकार के मानदंडों के अनुसार 60 लाख लोन के सामने 10 लाख 54 हजार कैपिटल सब्सिडी तथा 5 लाख 23 हजार 226 रुपये ब्याज सब्सिडी राहत के रुप में मिली है।
जिला उद्योग केन्द्र के मैनेजर किशोर मोरी ने कहा कि  मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी की अध्यक्षता में निर्णायक सरकार ने एमएसएमई उद्योग के लिए नई उद्योग नीति-2020 तैयार की है। जिसके तहत एमएसएमई उद्योग को और गति मिलेगी, साथ ही यह गुजरात के औद्योगिक विकास में नई जान फूंकेगी।  
सिलाई में बारीकी और परिश्रम के साथ भावेशभाई ने इस काम के लिए महिला कारीगरों पर भी जोर दिया। इस काम के लिए, कारखाने में काम करने वाली एवं अन्य मिलाकर लगभग 30 महिलाओं की एक टीम बनाई गई और प्रत्येक को एक अलग काम दिया गया। सिलाई, बॉर्डर बनाना, मटेरियल से बनाना, ईयर रबर लगाना, लोगो चिपकाना, मास्क टेस्टिंग और पैकिंग का काम इस महिला द्वारा किया जाता है।
कोरोना की गाइडलाइन के अनुसार  मास्क बनाने वाली महिलाओं के लिए भी मास्क अनिवार्य, सोशल डिस्टेंस सहित स्वच्छता का पालन किया जाता है। भावेशभाई ने कहा कि नये आने वाली महिलाओं को एक माह की ट्रेनिंग भी पगार के साथ दिया जाता है। मास्क एडजस्ट कर पहन सके इसके लिए उसमें बोरिया फिट करने का काम महिलाओं को घर जॉब वर्क के लिए दिया जाता है। श्रम कानून के अनुसार संस्था आवास उद्योग के साथ-साथ जरूरतमंद महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराती है।
टीम की हेड रसीलाबेन सेलरिया ने कहा कि ज्यादातर महिलाएं सामान्य परिवारों से आती हैं। जिससे  इस काम से होने वाली आय ने उनकी रोज़ी रोटी सहित उनके परिवार का भरण-पोषण करना आसान बना दिया है। वे बहनों को प्रशिक्षण देने और मास्क की गुणवत्ता जांचने का मुख्य काम करती हैं।
बहुत ही कम समय में  आईएसओ स्टांडर्ड के साथ मास्क की उचित गुणवत्ता बनाये रखते हुए पाइटेक्स मास्क की गुजरात सहित अन्य राज्यों में मांग बड़ रही है।  कंपनी रोजाना करीब 3500 मास्क बनाती है।  इतना ही नहीं सात समुद्र पार अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और लंदन में भी इनके मास्क की डिमांड है। प्रतिष्ठित कंपनियों द्वारा अपने लोगो वाले मास्क की भारी मांग पर कंपनी द्वारा विशेष ध्यान दिया जाता है और उनकी मांग के अनुसार मास्क प्रदान किए जाते हैं।
हाल में सिंगल यूज मास्क की भी खूब मांग है,जो  थ्री लेयर मास्क के रूप में भी जाना जाता है। जिसमें एडिसन कर इसी मटीरियल्स के साथ कंपनी द्वारा सिंगल यूज 4 लेयर मास्क और वह भी सस्ते दाम पर  लॉन्च करने की प्रक्रिया चल रही है। इसके अलावा  बच्चों के लिए अलग-अलग आकार और रंगों के मास्क बाजार में उतारे गए हैं। मास्क के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए प्रोडक्शन मैनेजर धर्मेंद्र सुदानी के साथ-साथ मार्केटिंग हेड आशीषभाई बुसा का अनुभव मददगार रहा है।
राजकोट विशेष रूप से ऑटो पार्ट्स निर्माण का केंद्र है। वर्तमान में तीन जीआईडीसी कार्यरत हैं।  हाल ही में मुख्यमंत्री द्वारा खिरसरा में एक और जीआईडीसी की स्थापना की गई। साथ ही एक मेडिकल डिवाइस पार्क को भी मंजूरी दी गई है। जिससे रोजकोट मेडिकल क्षेत्र में भी अपना कौशल दिखाकर देश-विदेश में राजकोट एवं गुजरात का  डंका बजाएगा। 
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