इंजेक्शन के लिये भटकते पिता की वेदना; मुझे अटैक आ जाए या भगवान बेटे की सांसे थाम ले!

इंजेक्शन के लिये भटकते पिता की वेदना; मुझे अटैक आ जाए या भगवान बेटे की सांसे थाम ले!

सुबह 6 बजे से कतार में लगने के बाद भी नहीं मिल पाता इंजेक्शन

राज्य में दिन प्रतिदिन कोरोना के केस बढ़ते ही जा रहे है। फिलहाल रोजाना 4500 से अधिक पॉज़िटिव केस सामने आ रहे है। स्थानीय चुनावों के बाद राज्य में कोरोना का संक्रामण काफी बढ़ने लगा है। चुनावों के दौरान हुये भीड़ में मास्क और सामाजिक दूरी के नियमों के भंग के कारण आज कोरोना का विकराल स्वरूप सभी के सामने आ रहा है। अस्पतालों में बेड कि कमी होने लगी है और मरीजों को वेटिंग लिस्ट में रहना पड़ रहा है। इसके अलावा मरीजों के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण ऐसे रेमड़ेसिविर इंजेक्शन की भी अस्पतालों में कमी सामने आ रही है। लोगों को इंजेक्शन के लिए पाँच से सात घंटे तक कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है। 
राजकोट के अलग-अलग मेडिकल स्टोर के बाहर लोगों की लंबी कतार लगी हुई देखी जा सकती है। कड़ी धूप में घंटो तक खड़े रहने के बाद भी बिना इंजेक्शन के खड़े रहना पड़ रहा है। मार्केट में इंजेक्शन की कमी होने के कारण सभी को काफी तकलीफ़ों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ इसी तरह से परेशान के वृद्ध पिता ने अपनी मजबूरी की भावना को व्यक्त करते हुये कहा की यदि उसे अपने पुत्र के लिए इंजेक्शन नहीं मिलता तो अच्छा होगा की या तो उसे खुद को हार्ट अटैक आ जाए या तो उसके पुत्र को साँसे ही थम जाए। 
राज्य सरकार एक तरफ तो अलग अलग दावे करती है। पर दूसरी तरफ वास्तविकता कुछ और ही दिखती है। राजकोट, धोराजी और वांकानेर में सुबह 6 बजे ही लोग लाइन लगा कर खड़े हो जाते है। पर दोपहर के 12 बजे के पहले उन्हें इंजेक्शन नहीं मिलता। लंबी-लंबी कतारों में महिलाएं और सीनियर सिटीजन भी होते है, पर 1 बजे तक लाइन में खड़े रहने के बाद भी लोगों को इंजेक्शन नहीं मिल पाता।