पानी के निस्तारण का कोई उपाय नहीं सुझा तो कुँवा खुदवा दिया!

पानी के निस्तारण का कोई उपाय नहीं सुझा तो कुँवा खुदवा दिया!

शहर के पॉश इलाके में नहीं है बच्चों और बूढ़ों के लिए पर्याप्त मात्र में गार्डन, हर जगह बन रही है बिल्डिंगे

आए दिन सरकार द्वारा विकास की बड़ी बड़ी बाते की जाती है। कई जगह तो हमे यह विकास दिखाई देता है, पर कुछ जगह ऐसी भी होती है जहां विकास के नाम पर मात्र और मात्र लापरवाही की गई हो। कुछ ऐसी ही घटना बनी हैं गुजरात के जामनगर में, जहां नगर निगम के हस्तक आए बगीचे में पानी के निस्तारण की जगह न मिलने पर तंत्र द्वारा बगीचे में ही कुआं खोद दिया गया है। 

तंत्र सो रहा कुंभकर्ण की नींद

शहर के रहिश इलाके में आई स्वस्तिक सोसाइटी में नगर निगम के अंतर्गत आने वाले बगीचे की हालत बिलकुल ही खस्ता है। फिर भी मानो तंत्र को कोई फरक ना पड़ता हो ऐसा लग रहा है। बिना किसी लगाम के पूरे शहर में जहां जगह दिख रही है वहाँ सीमेंट और कोंक्रीट के जंगल दिखाई दे रहे है। बिल्डर्स की नजर हमेशा इस तरह की खाली जगहो पर रहती है। हालात ऐसे है की शहर के वृद्ध और बालको के लिए कोई ढंग का मैदान भी नहीं है। इसके अलावा कुंभकर्ण की नींद सो रहे तंत्र को इस बारे में कोई प्लानिंग करने का समय हो ऐसा नहीं लग रहा। 

खड़ा हुआ एक और विवाद

स्वस्तिक सोसाइटी के लिए जब पानी के निस्तारण का उपाय नहीं हुआ तो बगीचे में ही दो कुएं बना दिये गए। अब ऐसे में यदि बारिश के समय में यहाँ पानी भर जाये तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा, तंत्र या कुआं खोदने वाले। यह भी एक बड़ा प्रश्न है। आए दिन अपने किसी न किसी काम की वजह से जामनगर नगर निगम लगातार विवाद में पड़ा ही रहता है। ऐसे में एक और अजीब कार्य के चलते एक और विवाद खड़ा हुआ है। 
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