पालघर की पुलिस अधिकारी मंजूषा शिरसाट ने वेस्ट इंडिया क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में जीता कांस्य पदक

पालघर की पुलिस अधिकारी मंजूषा शिरसाट ने वेस्ट इंडिया क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में जीता कांस्य पदक

पालघर (महाराष्ट्र) [भारत], 27 दिसंबर: पालघर ज़िला पुलिस के आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में सहायक पुलिस निरीक्षक के पद पर कार्यरत श्रीमती मंजूषा सुखदेव शिरसाट ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में आयोजित वेस्ट इंडिया क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में कांस्य पदक जीतकर न सिर्फ़ अपने विभाग बल्कि पूरे ज़िले का नाम रोशन किया है।

पेशे से एक समर्पित पुलिस अधिकारी, एपीआई मंजूषा शिरसाट बचपन से ही समाज की सेवा, कानून व्यवस्था बनाए रखने और न्याय दिलाने के संकल्प के साथ पुलिस बल में शामिल हुई थीं। वर्तमान में वे आर्थिक अपराध शाखा में वित्तीय धोखाधड़ी, निवेश घोटालों और साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जांच संभालती हैं।

उनका पावरलिफ्टिंग से जुड़ाव लगभग दो वर्ष पहले शुरू हुआ, जब काम के दबाव और तनाव के कारण उनका स्वास्थ्य प्रभावित होने लगा। शुगर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के बाद उन्होंने खुद को फिट रखने का ठोस निर्णय लिया। इसी क्रम में उन्होंने सुजीत सिंह फिटनेस जिम में प्रशिक्षण शुरू किया, जहां उनके कोच और मार्गदर्शक श्री सुजीत सिंह ने उन्हें पावरलिफ्टिंग से परिचित कराया।

कोच के प्रोत्साहन पर उन्होंने पहली बार जिला स्तर की प्रतियोगिता में भाग लिया और वहीं अपना पहला पदक जीता। यही सफलता उनके लिए प्रेरणा बनी और उन्होंने इस खेल को गंभीरता से अपनाने का फैसला किया।

इसके बाद एपीआई शिरसाट ने जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताओं में प्रभावशाली प्रदर्शन किया। वेस्ट इंडिया क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में कांस्य पदक जीतना उनके खेल जीवन की एक अहम उपलब्धि मानी जा रही है।

कठिन और जिम्मेदार पुलिस ड्यूटी के बावजूद वे बेहद अनुशासित दिनचर्या का पालन करती हैं—सुबह जल्दी वर्कआउट, पूरे दिन की ड्यूटी और शाम को फिर प्रशिक्षण। इसके साथ ही वे पोषण, रिकवरी और मानसिक संतुलन पर भी विशेष ध्यान देती हैं।

एपीआई शिरसाट इस सफलता का श्रेय पालघर पुलिस विभाग के सहयोग को भी देती हैं। वे पुलिस अधीक्षक श्री यतीश देशमुख (IPS), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री विनायक नराले और पुलिस निरीक्षक श्री शिरीष पवार का विशेष रूप से आभार व्यक्त करती हैं, जिनके मार्गदर्शन और प्रोत्साहन से उन्हें आगे बढ़ने की ताकत मिली।

परिवार की भूमिका को भी वे बेहद अहम मानती हैं। अपने भाई दिनेश, भाभी साधना और मां के निरंतर समर्थन और विश्वास को वे अपनी सफलता की मजबूत नींव बताती हैं।

युवतियों को संदेश देते हुए, जो खेल के साथ-साथ वर्दीधारी सेवा में करियर बनाना चाहती हैं, एपीआई मंजूषा शिरसाट कहती हैं—“वर्दी कभी बाधा नहीं होती, बल्कि ताकत बनती है। अनुशासन, जुनून और आत्मविश्वास के साथ हर चुनौती को पार किया जा सकता है।”

अपनी प्रेरणा को शब्दों में समेटते हुए वे आगे कहती हैं—“खुद को हर दिन कल से बेहतर बनाना—मानसिक और शारीरिक रूप से—यही सोच मुझे एक अधिकारी और एक खिलाड़ी दोनों रूपों में आगे बढ़ाती है।”

यह समाचार वर्ल्ड न्यूज़ नेटवर्क के लिए सतीश रेड्डी द्वारा जारी किया गया है।
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