वडोदरा : नेचुरल खेती और गौ-पालन से आत्मनिर्भरता की मिसाल बना समियाला का दंपति
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक बिज़नेस सोच के मेल से सेजलबेन–चिरायुभाई पटेल ने खड़ा किया सफल प्राकृतिक उत्पादों का व्यवसाय
खेती और पशुपालन को केवल रोज़ी-रोटी तक सीमित न रखकर एक सफल और सम्मानजनक बिज़नेस के रूप में स्थापित करने की प्रेरक कहानी वडोदरा जिले के समियाला गांव से सामने आई है। यहां रहने वाले पटेल सेजलबेन और उनके पति चिरायुभाई पटेल ने पारंपरिक नेचुरल खेती और गौ-पालन को आधुनिक उद्योगिक सोच के साथ जोड़कर आत्मनिर्भरता की एक मजबूत मिसाल पेश की है।
समियाला गांव में स्थित करीब 9 हजार वर्गफुट क्षेत्र में फैली एस.ए. गौशाला में यह दंपती देसी और गिर नस्ल की कुल 17 गायों का पालन करता है। गौशाला से प्राप्त गोबर और गोमूत्र का वैज्ञानिक, स्वच्छ और सुनियोजित तरीके से उपयोग कर वे अनेक प्राकृतिक उत्पाद तैयार कर रहे हैं। इनमें गोमूत्र अर्क, हर्बल कीटनाशक, कीटाणुनाशक घोल, दीया, धूपबत्ती सहित खेती और स्वास्थ्य से जुड़े कई उपयोगी उत्पाद शामिल हैं। इसके अलावा जीवामृत, बीजामृत, दशपर्णी अर्क, निमास्त्र तथा प्राकृतिक खेती में सहायक अन्य औषधीय उत्पादों का निर्माण और बिक्री भी की जा रही है।
गाय से बने ये सभी उत्पाद पूरी तरह प्राकृतिक, केमिकल-फ्री और पर्यावरण व मिट्टी के लिए लाभदायक हैं। इसी कारण इनकी मांग न केवल किसानों बल्कि शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच भी तेजी से बढ़ रही है। साथ ही, दंपती अपने 16 विधा प्रकृति फार्म के माध्यम से पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से अनाज और सब्जियों का उत्पादन भी कर रहा है। इनमें चावल, गेहूं, अरहर दाल, चना, बाजरा के साथ-साथ मौसम अनुसार पालक, मेथी, टमाटर, बैंगन, गाजर, चुकंदर, ब्रोकली, मूली, आलू, अदरक, हल्दी, दूध सहित कई उत्पाद शामिल हैं।
सेजलबेन और चिरायुभाई को गौ-पालन के लिए सरकारी सहयोग भी मिला है, जिसमें चारा मशीन हेतु सहायता शामिल है। सेजलबेन को वर्ष 2022-23 में तालुका स्तर पर बेस्ट पशुपालक अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, वहीं 8 मार्च 2022 को जिला प्रशासन द्वारा पशुपालन और नेचुरल खेती में उत्कृष्ट कार्य के लिए विशेष सम्मान प्रदान किया गया।
इस अवसर पर चिरायुभाई पटेल ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि कम वेतन वाली दूरस्थ कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों के बजाय अपनी जमीन पर पशुपालन और प्राकृतिक खेती अपनाकर न केवल आत्मनिर्भर बनें, बल्कि रोजगार सृजन कर दूसरों को भी काम देने वाले बनें।
गृहिणी होने के साथ-साथ सेजलबेन खेती, पशुपालन और गौ-आधारित उत्पादों के व्यवसाय को पूरी लगन से आगे बढ़ा रही हैं। उन्होंने स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित किए हैं और अन्य महिलाओं को गौ-आधारित व्यवसाय से जोड़ने के लिए विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड के तहत प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी प्रदान करती हैं।
सेजलबेन और चिरायुभाई का यह प्रयास वास्तव में ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘महिला सशक्तिकरण’ की भावना को साकार करता है और यह सिद्ध करता है कि खेती और पशुपालन न केवल जीवनयापन का साधन, बल्कि एक लाभकारी और सम्मानजनक व्यवसाय भी बन सकता है।
