भारत-न्यूजीलैंड की एफटीए पर वार्ता संपन्न; शुल्क-मुक्त पहुंच, 20 अरब डॉलर का एफडीआई होगा उपलब्ध
नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) भारत और न्यूजीलैंड ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत पूरी होने की सोमवार को घोषणा की। यह समझौता श्रम-गहन क्षेत्रों से आने वाले विभिन्न घरेलू उत्पादों को शुल्क-मुक्त पहुंच देगा। साथ ही इससे अगले 15 वर्ष में 20 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) उपलब्ध होगा।
इस समझौते से अगले पांच वर्ष में वस्तुओं व सेवाओं के द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके पांच अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
दूसरी ओर, न्यूजीलैंड को भेड़ के मांस, ऊन, कोयला और वनों एवं लकड़ी से बनी 95 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं पर शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। समझौते के तहत न्यूजीलैंड को कीवी फल, शराब, कुछ समुद्री खाद्य पदार्थ, चेरी, एवोकाडो, पर्सिमन, शिशु ‘फॉर्मूला’, मनुका शहद और दूध ‘एल्ब्यूमिन’ जैसी कई अन्य वस्तुओं पर शुल्क छूट भी मिलेगी।
घरेलू किसानों और सूक्ष्म लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के हितों की सुरक्षा के लिए भारत राजनीतिक रूप से संवेदनशील दुग्ध क्षेत्र जैसे दूध, क्रीम, व्हे, दही तथा पनीर में कोई शुल्क छूट नहीं देगा।
इस समझौते के अंतर्गत शामिल न होने वाले अन्य उत्पाद वनस्पति उत्पाद (प्याज, चना, मटर, मक्का, बादाम), चीनी, कृत्रिम शहद, पशु, वनस्पति या सूक्ष्मजीवों से प्राप्त वसा और तेल, हथियार व गोला-बारूद, रत्न एवं आभूषण, तांबा तथा उसके उत्पाद और एल्युमीनियम तथा उससे संबंधित वस्तुएं हैं।
इसने कुशल व्यवसायों में कार्यरत भारतीय पेशेवरों के लिए एक नए अस्थायी रोजगार प्रवेश वीजा मार्ग के माध्यम से कुशल रोजगार के रास्ते भी खोले हैं। इसमें किसी भी समय 5,000 वीजा का ‘कोटा’ शामिल होता है और अधिकतम तीन साल तक का प्रवास संभव होता है।
इसमें आयुष चिकित्सकों, योग प्रशिक्षकों, भारतीय रसोइयों और संगीत शिक्षकों जैसे भारतीय व्यवसायों के साथ-साथ आईटी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा एवं निर्माण जैसे उच्च मांग वाले क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है जिससे कार्यबल की आवाजाही एवं सेवा व्यापार को मजबूती मिलेगी।
इस समझौते पर हस्ताक्षर होने और इसके लागू होने में संभवत: करीब सात से आठ महीने लग जाएंगे। यह समझौता अमेरिका में 50 प्रतिशत शुल्क का सामना कर रहे भारतीय निर्यातकों को ‘ओशिनिया’ क्षेत्र में अपने निर्यात को विविधतापूर्ण बनाने में मदद करेगा।
भारत पहले ही ऑस्ट्रेलिया के साथ एक व्यापार समझौता लागू कर चुका है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और न्यूजीलैंड के उनके समकक्ष क्रिस्टोफर लक्सन ने समझौते को अंतिम रूप देने की घोषणा सोमवार को की। दोनों प्रधानमंत्रियों ने फोन पर बातचीत की जिसके बाद मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता संपन्न होने की घोषणा की गई।
मार्च, 2025 में लक्सन की भारत यात्रा के दौरान बातचीत शुरू होने के बाद दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि नौ महीनों के रिकॉर्ड समय में मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत संपन्न की है। यह दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने की साझा महत्वाकांक्षा एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
यह मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव को बेहद गहरा करेगा, बाजार पहुंच को बढ़ाएगा, निवेश प्रवाह को बढ़ावा देगा तथा दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करेगा। साथ ही दोनों देशों के नवोन्मेषकों, उद्यमियों, किसानों, एमएसएमई, छात्रों तथा युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर खोलेगा।
आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘‘ दोनों नेताओं ने अगले पांच वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के साथ-साथ अगले 15 वर्ष में न्यूजीलैंड द्वारा भारत में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश पर विश्वास व्यक्त किया।’’
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस निवेश से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार सृजित होंगे।
इस समझौते के तहत न्यूजीलैंड, भारतीय किसानों को उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करने के उद्देश्य से कीवी फल, सेब और शहद पर एक समर्पित कृषि-प्रौद्योगिकी कार्ययोजना स्थापित करेगा।
इस सहयोग में उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, बेहतर रोपण सामग्री, उत्पादकों के लिए क्षमता निर्माण एवं बाग प्रबंधन, फसल कटाई के बाद की प्रथाओं, आपूर्ति श्रृंखला प्रदर्शन तथा खाद्य सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी सहायता शामिल है।
न्यूजीलैंड ने भौगोलिक संकेतक (जीआई) पर अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाया है जिसमें भारत की ‘वाइन’ एवं ‘स्पिरिट’ के पंजीकरण को सुविधाजनक बनाने के लिए अपने कानून में संशोधन करना भी शामिल है।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘ आयुष, संस्कृति, मत्स्य पालन, ऑडियो-विजुअल पर्यटन, वानिकी, बागवानी एवं पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति बनी है।’’
इस समझौते में शुल्क उदारीकरण के अलावा, बेहतर नियामकीय सहयोग के माध्यम से गैर-शुल्क बाधाओं को दूर करने और सीमा शुल्क, स्वच्छता एवं पादप-स्वच्छता उपायों तथा व्यापार अनुशासन में तकनीकी बाधाओं को सुव्यवस्थित करने के प्रावधान शामिल हैं।
न्यूजीलैंड में त्वरित नियामकीय पहुंच के माध्यम से दवा और चिकित्सकीय उपकरण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा जिससे अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए), यूरोपीय संघ की यूरोपीय औषधि एजेंसी (ईएमए) और ब्रिटेन की ‘ मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी’ (एमएचआरए) सहित तुलनीय नियामकों से जीएमपी (गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस) और जीसीपी (गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस) निरीक्षण रिपोर्ट की स्वीकृति संभव हो सकेगी।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘ इससे दोहराव वाले निरीक्षण कम होंगे, अनुपालन लागत कम होगी और उत्पाद अनुमोदन में तेजी आएगी जिससे न्यूजीलैंड को भारत के दवा और चिकित्सकीय उपकरण निर्यात में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।’’
गोयल ने कहा कि यह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार द्वारा सातवां समझौता है जिसे अंतिम रूप दिया गया। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, यूरोपीय मुक्त व्यापार संगठन (ईएफटीए), ओमान और मॉरीशस के साथ ऐसे समझौते संपन्न हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड समझौता पहला ऐसा समझौता है जिसमें वार्ता में शामिल भारतीय पक्ष के सभी प्रमुख अधिकारी महिलाएं थीं। भारत की मुख्य वार्ताकार मंत्रालय में संयुक्त सचिव पेटल ढिल्लों हैं।
मंत्री ने कहा कि भारत ने अब तक ‘फाइव आइज’ (एफवीईवाय) गठबंधन के तीन सदस्यों ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और न्यूजीलैंड के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को अंतिम रूप दे दिया है।
खुफिया जानकारी साझा करने वाले नेटवर्क में शामिल पांच देश ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका हैं।
भारत, अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए बातचीत के उन्नत चरण में है और कनाडा के साथ व्यापार समझौते के लिए बातचीत फिर से शुरू करने की प्रक्रिया में है।
गोयल ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘ न्यूजीलैंड के साथ वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार कम है लेकिन इसमें विकास की अपार संभावनाएं हैं।’’
भारत-न्यूजीलैंड द्विपक्षीय माल व्यापार 2024-25 में 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जबकि वस्तुओं एवं सेवाओं का कुल व्यापार 2024 में करीब 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इसमें केवल सेवाओं की हिस्सेदारी 1.24 अरब अमेरिकी डॉलर थी जिसका नेतृत्व यात्रा, आईटी तथा व्यावसायिक सेवाओं ने किया।
वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि भले ही समझौते के लिए औपचारिक दौर की केवल पांच वार्ता आयोजित की गईं लेकिन दोनों पक्ष इसको पूरा करने के लिए निरंतर संपर्क में रहे।
