तमिलनाडु में प्राकृतिक खेती से प्रभावित हुए प्रधानमंत्री मोदी, किसानों से इसे अपनाने का आग्रह किया
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को देश के सभी किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने पर विचार करने का आह्वान किया और कहा कि इससे रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर बढ़ती निर्भरता जैसी कृषि से संबंधित कई चुनौतियों का समाधान हो सकता है।
उन्होंने कहा कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से मिट्टी की उर्वरता, नमी और दीर्घकालिक स्थिरता समेत कई पहलू प्रभावित होते हैं।
मोदी ने ‘लिंक्डइन’ पर एक पोस्ट में कहा, “मैंने किसानों को ‘वन एकड़, वन सीजन’ से शुरुआत करने के लिए प्रोत्साहित किया। छोटे भूखंड से मिले परिणाम भी आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं और व्यापक स्तर पर अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।”
मोदी ने लिखा कि उन्होंने 19 नवंबर को कोयंबटूर में दक्षिण भारत प्राकृतिक खेती सम्मेलन 2025 में भाग लिया, जहां उन्हें किसानों के एक समूह ने आमंत्रित किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह यह देखकर अभिभूत हो गए कि “विविध पृष्ठभूमियों के लोग जैसे वैज्ञानिक, एफपीओ नेता, स्नातक की पढ़ाई करने वाले, पारंपरिक किसान और विशेष रूप से उच्च वेतन वाली कॉर्पोरेट नौकरियां छोड़ देने वाले लोग अपनी जड़ों की ओर लौटकर प्राकृतिक खेती को अपनाने का निर्णय ले चुके हैं।”
उन्होंने कहा, “प्राकृतिक खेती, जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों और आधुनिक पारिस्थितिक सिद्धांतों से प्रेरित है, और बिना सिंथेटिक रसायनों के फसल उगाने पर केंद्रित है। यह विविधीकृत खेतों को बढ़ावा देती है, जहां पौधे, पेड़ और पशुधन प्राकृतिक जैव विविधता में मददगार साबित होते हैं। यह पद्धति बाहरी संसाधनों पर निर्भर रहने के बजाय अलग-अलग तरीकों से मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।”
उन्होंने कहा, “कोयंबटूर में यह सम्मेलन हमेशा मेरी स्मृतियों में रहेगा! इसने मानसिकता, कल्पना और आत्मविश्वास में बदलाव को दर्शाया है, जिसके साथ भारत के किसान और कृषि-उद्यमी कृषि के भविष्य को आकार दे रहे हैं।”
मोदी ने उल्लेख किया कि कार्यक्रम में तमिलनाडु के किसानों के साथ संवाद हुआ, जिसमें उन्होंने प्राकृतिक खेती में अपने प्रयासों को प्रदर्शित किया और “मैं आश्चर्यचकित रह गया!”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मैंने ऐसे लोगों से मुलाकात की जिनकी जीवन यात्राएं और कुछ नया करने की प्रतिबद्धता उल्लेखनीय थीं।”
व्यक्तिगत उद्यमियों के उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक किसान लगभग 10 एकड़ में केला, नारियल, पपीता, काली मिर्च और हल्दी की खेती कर रहा है।
मोदी ने कहा, “वह 60 देसी गायें, 400 बकरियां और मुर्गीपालन भी करता है।”
प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में भारत की सराहनीय प्रगति का जिक्र करते हुए मोदी ने केंद्र के राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का उल्लेख किया और कहा कि लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं।
उन्होंने कहा, “देशभर में हजारों हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। सरकार के प्रयास — जैसे निर्यात को बढ़ावा देना, किसान क्रेडिट कार्ड (जिसमें पशुपालन और मत्स्य पालन भी शामिल हैं) के माध्यम से संस्थागत ऋण में उल्लेखनीय वृद्धि, और पीएम-किसान ने भी प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की मदद की है।”
