बैंक में जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने की रास में उठी मांग

बैंक में जमा राशि पर बीमा कवर बढ़ाने की रास में उठी मांग

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में कांग्रेस के एक सदस्य ने बुधवार को मांग की कि बैंकों के डूबने के बढ़ते मामलों के मद्देनजर हर तरह के बैंक खातों में जमा राशि पर बीमा कवर को पांच लाख रुपये से बढ़ा कर 25 लाख रुपये किया जाए।

शून्यकाल के दौरान उच्च सदन में यह मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस के नीरज डांगी ने कहा कि हर तरह के बैंक खातों में जमा राशि पर पांच लाख रुपये तक का बीमा होता है, चाहे बैंक में जमा राशि कितनी भी हो।

उन्होंने कहा कि अगर बैंक डूबा तो पूरी राशि डूब जाएगी लेकिन बीमा केवल पांच लाख रुपये का ही होगा और यही राशि खाता धारक को मिलेगी।

डांगी ने कहा कि इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन खातों की पूरी राशि का बीमा नहीं है, उनमें से अधिकांश राशि बुजुर्गों की है और उनका जीवन यापन उसी राशि पर निर्भर है। ‘‘यह राशि डूब जाए तो उनका बुढ़ापा कैसे कटेगा।’’

उन्होंने कहा ‘‘बैंक डूबने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, अत: बैंकों में जमा राशि के बीमा कवर को पांच लाख रुपये से बढ़ा कर 25 लाख रुपये किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि ज़्यादा से ज़्यादा बैंक बंद हो रहे हैं, इसलिए ‘डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन’ के तहत जमाकर्ताओं के लिए बेहतर सुरक्षा की ज़रूरत है।

डांगी ने कहा कि पिछली बार बीमा राशि को पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक संकट के बाद फरवरी 2022 में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये किया गया था।

भाजपा की सुमित्रा वाल्मीक ने महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि काम के लिए बाहर जाने वाली महिलाएं सुरक्षित वापस लौटें।

उन्होंने कहा ‘‘वैसे तो सुरक्षा होती है लेकिन बस, मेट्रो, ऑटो में सफर के बाद उतर कर घर तक करीब एक-दो किलोमीटर की यात्रा उन्हें जोखिम के बीच करनी होती है। वह इस दौरान वहां खड़े ई-रिक्शा या ऑटो से जाती हैं और अपने घर पर लगातार बात करती रहती हैं ताकि असुरक्षा की भावना कुछ कम हो सके।’’

सुमित्रा ने सुझाव दिया कि बस स्टैंड, मेट्रो स्टेशन पर उतरने वाली महिलाओं के लिए बेहतर होगा कि वहां उनके लिए जो ई-रिक्शा उपलब्ध हों, उन्हें महिलाएं ही चलाएं।

उन्होंने कहा ‘‘क्यू आर कोड आधारित ट्रैकिंग व्यवस्था होनी चाहिए। यात्री बैठने से पहले उसे स्कैन करे ताकि गाड़ी का नंबर और ड्राइवर का ब्यौरा उनके घर और पुलिस थाने तक पहुंचे। रास्तों पर लाइट की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।’’

इसी पार्टी के शंभू शरण पटेल ने कहा कि कोविड काल में कई स्टेशनों पर ट्रेनों का ठहराव रोक दिया गया था। ‘‘हालात सुधरने पर यह ठहराव बहाल किया गया लेकिन कई स्टेशन अब भी इससे वंचित हैं। इसे बहाल किया जाना चाहिए, क्योंकि यात्रियों को असुविधा होती है।’’

पटेल ने मुजफ्फरपुर-भागलपुर एक्सप्रेस (13420), बांका इंटरसिटी एक्सप्रेस (13242) और राउरकेला-बारबिल इंटरसिटी एक्सप्रेस (18403) सहित कई ट्रेनों के ठहराव बहाल करने और लखीसराय जिले के मनकठा रेलवे स्टेशन को उन्नत करने की मांग की।

भाजपा के एक अन्य सदस्य डॉ दिनेश शर्मा ने दिल्ली की कुछ सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर अब भी मुगल और ब्रिटिश काल के नाम बने रहने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जिन सड़कों के नाम मुगल शासकों और ब्रिटिश अफसरों के नाम पर हैं, उन्हें बदला जाना चाहिए।

उन्होंने अकबर रोड, शाहजहां रोड, लोधी रोड, मिन्टो रोड और मिन्टो ब्रिज जैसे उदाहरण दिए और सरकार से तत्काल इस दिशा में कदम उठाने का अनुरोध किया।

भाकपा के संदोष कुमार पी ने विश्वविद्यालयों से जुड़ा मुद्दा उठाया और कहा कि इन संस्थानों में हजारों की संख्या में तदर्थ शिक्षक हैं जिनकी सामाजिक सुरक्षा और वेतन की स्थिति शोचनीय है। उन्होंने मांग की कि इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

इनके अलावा, भाजपा के केसरी देव सिंह झाला, नबाम रेबिया, मेधा विश्राम कुलकर्णी, द्रमुक के तिरुचि शिवा, बीजद के निरंजन बिशी और शिवसेना (उबाठा) की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी आसन की अनुमति से अपने-अपने मुद्दे उठाए।