संचार साथी ऐप से न जासूसी संभव है और न होगी: सिंधिया
नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि ‘संचार साथी’ ऐप के माध्यम से न तो जासूसी (स्नूपिंग) संभव है और ना होगी।
सिंधिया ने सभी नए मोबाइल उपकरणों में साइबर सुरक्षा के लिहाज से इस ऐप को प्रीलोड करने के सरकार के निर्देश पर उठे विवाद के बीच लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह बात कही।
उन्होंने कहा कि संचार साथी ‘‘ऐप के आधार पर न स्नूपिंग संभव है, न होगी।’’ सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार देश की जनता के हाथ में अधिकार देना चाहती है ताकि वे खुद को सुरक्षित रख सकें।
उन्होंने कहा कि जनता की प्रतिक्रिया पर मिली सफलता के आधार पर यह प्रयोग किया गया है और भविष्य में जनता के ही सुझावों के आधार पर सरकार इसमें परिवर्तन के लिए तैयार है। संचार मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार का इस बारे में कोई ‘‘हठ’’ नहीं है।
संचार मंत्रालय के 28 नवंबर के आदेश में सभी मोबाइल उपकरण विनिर्माताओं को सभी नए हैंडसेट में अनिवार्य रूप से ‘संचार साथी’ ऐप पहले से इंस्टॉल करने को कहा गया है और मौजूदा मोबाइल फोन पर अपडेट के माध्यम से इसे इंस्टॉल करने का निर्देश दिया गया है।
सरकार के इस आदेश पर विवाद शुरू हो गया। मंगलवार को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाद्रा और अन्य कुछ विपक्षी सदस्यों ने इसे अनिवार्य किए जाने की आलोचना करते हुए कहा, "लोगों को यह अधिकार होना चाहिए कि वे सरकार की निगरानी के बिना निजी संदेश भेज सकें।"
इस पर सफाई देते हुए सिंधिया ने मंगलवार को संसद भवन परिसर में कहा कि इस ऐप को भी मोबाइल पर अन्य ऐप की तरह हटाया जा सकता है।
उन्होंने बुधवार को सदन में कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा के पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सोशल मीडिया के दुरुपयोग और धोखाधड़ी से नागरिकों को बचाने की सोच के साथ 2023 में ‘संचार साथी’ पोर्टल की शुरुआत की गई थी और 2025 में इसके लिए ऐप का प्रयोग शुरू किया गया।
उन्होंने कहा कि इस ऐप से जनभागीदारी के आधार पर साइबर धोखाधड़ी से नागरिकों को बचाना और मोबाइल चोरी की घटनाओं को कम करना ही उद्देश्य है।
सिंधिया ने कहा कि पोर्टल पर जनता की अच्छी प्रतिक्रिया के आधार पर ही सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ाया। उन्होंने बताया कि पोर्टल पर जनता की प्रतिक्रिया से चोरी के लाखों मोबाइल फोन का पता चला, वहीं धोखाधड़ी के छह लाख मामलों को रोका जा सका।
सिंधिया ने साफ किया कि संचार साथी ऐप के माध्यम से नागरिकों को विकल्प दिया गया है और जब तक वे इस पर पंजीकरण नहीं करते, उनके मोबाइल में यह काम नहीं करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरा अधिकार नागरिक का है। हमने केवल सभी को यह ऐप उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाया है।’’
