अधिक ईंधन खपत वाले वाहन बनाने वाली कंपनियां कैफे-3 मानकों पर दे रहीं गलत दलीलः मारुति
नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) अग्रणी कार विनिर्माता मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने सोमवार को कहा कि अधिक ईंधन खपत करने वाले वाहन बनाने वाली कुछ कंपनियां कैफे-3 मानकों के तहत छोटी कारों को रियायतें देने के प्रस्ताव के खिलाफ गलत दलीलें दे रही हैं।
औसत ईंधन दक्षता (कैफे) नियम 2017 से लागू हैं। प्रत्येक वाहन विनिर्माता के वाहनों की औसत ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन को इन नियमों से ही नियमित किया जाता है। कैफे-3 मानकों के अप्रैल, 2027 से लागू होने की संभावना है।
टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी शैलेश चंद्रा ने कहा था कि छोटी कारों को कोई भी छूट नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह सुरक्षा पर असर डाल सकती है।
मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने कहा कि कैफे-3 नियमों का उद्देश्य बड़ी कारों की ईंधन दक्षता बढ़ाना और उत्सर्जन कम करना है, जबकि दुनिया के अधिकांश देशों में छोटे वाहनों को छूट दी जाती है।
उन्होंने कहा कि यूरोप, अमेरिका, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में छोटे वाहनों के लिए नियामकीय ढांचे में रियायत दी जाती है।
भारती ने कहा कि भारत में छोटे वाहनों के सुरक्षा मानक बड़ी कारों के समान हैं, और मारुति अपने वाहनों के सभी संस्करणों में छह एयरबैग देती है। उन्होंने कहा कि यदि लक्ष्य अवास्तविक बनते हैं तो सबसे कम कार्बन उत्सर्जन वाले छोटे वाहन को बंद करना पड़ सकता है।
