मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त चार और पांच अक्टूबर को बिहार दौरे पर रहेंगे

मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त चार और पांच अक्टूबर को बिहार दौरे पर रहेंगे

नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और निर्वाचन आयुक्त विवेक जोशी और एस एस संधू बिहार में चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए शनिवार से दो दिन के लिए पटना का दौरा करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है और राज्य में चुनाव इस महीने के अंत से नवंबर तक कई चरणों में होने की संभावना है।

चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पहले निर्वाचन अधिकारियों द्वारा राज्यों का दौरा करना आम बात है।

अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्त चार और पांच अक्टूबर को राज्य में रहेंगे।

निर्वाचन आयोग चुनाव तैयारियों की समीक्षा करते हुए राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और शीर्ष पुलिस, प्रशासनिक और राज्य के निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक कर रहा है।

बिहार चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षकों की बैठक में अधिकारियों को सभी चुनाव कानूनों, नियमों और दिशानिर्देशों से वाकिफ होने और उनका सख्त और निष्पक्ष अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।

केंद्रीय पर्यवेक्षक निर्वाचन आयोग की तरफ से नजर रखते हैं तथा सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं। पर्यवेक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और मतदाताओं की शिकायतों के निवारण के लिए पूरी तरह से उपलब्ध रहें।

पर्यवेक्षकों को मतदान केंद्रों का दौरा करने तथा मतदाताओं की सुविधा के लिए आयोग द्वारा हाल में शुरू की गई पहल के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए।

आयोग के एक बयान के अनुसार, बैठक में मुख्य निर्वाचन आयुक्त कुमार ने पर्यवेक्षकों को "लोकतंत्र का प्रकाश स्तंभ" बताया।

बिहार और सात विधानसभा उपचुनावों के लिए 425 सामान्य, पुलिस और व्यय पर्यवेक्षक तैनात किए जा रहे हैं।

बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पूरा हो गया है और 30 सितंबर को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची में लगभग 7.42 करोड़ मतदाता हैं।

दो दशक से अधिक समय के अंतराल के बाद किये गए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। विपक्षी दलों ने दावा किया है कि इससे करोड़ों वास्तविक नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।

निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह किसी भी पात्र नागरिक को मतदाता सूची से बाहर नहीं रहने देगा और साथ ही, किसी भी अपात्र व्यक्ति का नाम सूची में नहीं होगा।