सूरत : गुजरात की पाठ्यपुस्तक में सूरत की 'रबर गर्ल' अन्वी झांझरुकिया की प्रेरणादायक कहानी शामिल

कक्षा 7 की मराठी पाठ्यपुस्तक में दिव्यांगता को मात देने वाली अन्वी की संघर्षगाथा, राज्यभर के छात्र लेंगे प्रेरणा

सूरत : गुजरात की पाठ्यपुस्तक में सूरत की 'रबर गर्ल' अन्वी झांझरुकिया की प्रेरणादायक कहानी शामिल

दिव्यांगता को पीछे छोड़कर योग के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करने वाली सूरत की बेटी अन्वी विजय झांझरुकिया की संघर्ष और सफलता की कहानी अब गुजरात के हजारों विद्यार्थियों को प्रेरणा देगी। गुजरात राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल ने कक्षा 7 की मराठी माध्यम प्रथम भाषा की पाठ्यपुस्तक में अन्वी की जीवन यात्रा पर आधारित एक अध्याय शामिल किया है।

17 वर्षीय अन्वी, जिन्हें भारत की ‘रबर गर्ल’ के नाम से जाना जाता है, 200 से अधिक कठिन योगासन करने में सक्षम हैं, बावजूद इसके कि वह दिव्यांग हैं। उनके अद्वितीय साहस और प्रतिभा के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार-2020, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2022 और गुजरात गरिमा पुरस्कार-2022 जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है।

अन्वी की उपलब्धियाँ केवल पुरस्कारों तक सीमित नहीं हैं। भारत के 14 प्रसिद्ध लेखकों ने अपनी पुस्तकों में उनके जीवन पर आधारित कहानियाँ लिखी हैं और 14 विश्व रिकॉर्ड उनके नाम दर्ज हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें अपने दिल्ली आवास पर आमंत्रित कर विशेष रूप से सम्मानित किया था। इसके अलावा, अन्वी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी अपने अनुभव साझा किए थे। हाल ही में, उन्होंने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में योग का प्रभावशाली प्रदर्शन किया, जिससे राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भी अत्यंत प्रभावित हुईं।

गुजरात पाठ्यपुस्तक मंडल का उद्देश्य इस अध्याय के माध्यम से छात्रों में यह संदेश देना है कि यदि आत्मबल, पारिवारिक सहयोग और निरंतर अभ्यास हो, तो कोई भी बाधा सफलता की राह नहीं रोक सकती। अन्वी की कहानी न केवल दिव्यांग बच्चों के लिए बल्कि हर छात्र के लिए प्रेरणादायक है।

यह सूरत और पूरे गुजरात के लिए गर्व की बात है कि राज्य की इतनी कम उम्र की दिव्यांग बेटी की जीवन यात्रा अब शैक्षणिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गई है। अन्वी के समान आयु के विद्यार्थी अब उनकी संघर्षगाथा और उपलब्धियों का अध्ययन कर सकेंगे।

इस अवसर पर अन्वी को उनकी योग प्रशिक्षक श्रीमती नम्रताबेन वर्मा और उनके परिजनों ने इस उच्च सम्मान के लिए हार्दिक बधाई दी। यह पहल न केवल अन्वी के लिए बल्कि समस्त दिव्यांग समाज के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है, जो समाज को नई दिशा और नई प्रेरणा प्रदान करेगा।

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