सूरत : टेक्सटाइल सप्ताह के अंतिम दिन 'तकनीकी वस्त्रों का भविष्य' पर संगोष्ठी आयोजित
विशेषज्ञों ने कहा- सूरत को अब सूत से आगे बढ़कर उच्च मूल्य वाले कार्यात्मक वस्त्र बनाने होंगे
सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसजीसीसीआई) के ग्लोबल फैब्रिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर (जीएफआरआरसी) द्वारा टेक्सटाइल सप्ताह के छठे और अंतिम दिन शनिवार, 26 जुलाई को ‘तकनीकी वस्त्रों का भविष्य’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। यह संगोष्ठी नानपुरा स्थित समृद्धि सभागार में संपन्न हुई, जिसमें सूरत के प्रमुख कपड़ा उद्यमियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चैंबर के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र चोखावाला थे, जबकि विशेषज्ञ वक्ता के रूप में ऑर्बिट एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक बीरेन बंद्योपाध्याय और आदित्य होम टेक्सटाइल्स के निदेशक व पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती उपस्थित थे।
चोखावाला ने अपने वक्तव्य में कहा कि तकनीकी वस्त्र क्षेत्र 6 से 11% की दर से बढ़ रहा है और 2030 तक इसका आकार 28.6 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार इस क्षेत्र में अनुसंधान, नवाचार और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सब्सिडी योजनाएँ चला रही है। 3D बुनाई, स्मार्ट टेक्सटाइल, नैनो तकनीक जैसे नए आयाम इस क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहे हैं।
पूर्व अध्यक्ष आशीष गुजराती ने कहा कि सूरत को पारंपरिक ग्रे फैब्रिक से आगे बढ़ते हुए उच्च मूल्य के उत्पाद जैसे कि यूवी रेसिस्टेंट, एंटी-बैक्टीरियल, फ्लेम-रिटार्डेंट वस्त्रों पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने 3D निटेड एमएमएफ टेक्नोलॉजी को भविष्य की दिशा बताया और कहा कि एकीकृत एमएमएफ क्लस्टर और घरेलू ब्रांड्स की इनक्यूबेशन अब आवश्यक हो गई है।
बीरेन बंद्योपाध्याय ने तकनीकी वस्त्रों के परीक्षण पक्ष पर ज़ोर दिया और बताया कि धागे से लेकर फाइनल प्रोडक्ट तक ऑन-लूम व ऑफ-लूम सभी स्तरों पर परीक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि पैराशूट, अग्निरोधक कपड़े, एनबीसी सूट जैसे उत्पाद भारत में सीमित मात्रा में बनते हैं, लेकिन इसमें अपार संभावनाएं हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी वस्त्रों में स्थायित्व तीन पहलुओं – आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय – पर आधारित होना चाहिए। न्यूनतम संसाधनों में अधिकतम उपयोग, श्रमिक हितों की रक्षा और कार्बन फुटप्रिंट घटाने जैसे प्रयास इस क्षेत्र को लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रख सकते हैं।
चैंबर समूह अध्यक्ष गिरधर गोपाल मुंदड़ा ने कहा कि भारत को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के वस्त्र निर्यात का लक्ष्य हासिल करना है, जिसमें सूरत की भूमिका केंद्रीय है। इसके लिए तकनीकी वस्त्रों और होम फर्निशिंग जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता है।
इस अवसर पर चैंबर के उपाध्यक्ष अशोक जीरावाला, पूर्व अध्यक्ष महेंद्र काजीवाला, सह-अध्यक्ष अमरीश भट्ट, और अनेक उद्योगपति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन भट्ट ने किया। अंत में विशेषज्ञों ने उपस्थित उद्यमियों के सवालों के जवाब दिए और तकनीकी वस्त्रों के व्यावसायिक अवसरों की विस्तृत जानकारी दी।