सूरत : पति को प्रताड़ित करने वाली पत्नी से मिली मुक्ति, फैमिली कोर्ट ने दिया तलाक
सूरत फैमिलीकोर्ट ने मानसिक क्रूरता और कर्तव्यों की उपेक्षा के आधार पर पति की तलाक याचिका स्वीकार की
सूरत । सूरत के भटार क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति की ओर से दायर तलाक याचिका को परिवार न्यायालय ने मंजूर कर लिया। पति ने अदालत में यह तर्क दिया कि उसकी पत्नी वैवाहिक जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रही थी, उसके साथ लगातार मानसिक और भावनात्मक क्रूरता कर रही थी और झूठे मामलों में फंसाने की धमकियां भी देती रही।
इस मामले की सुनवाई अतिरिक्त पारिवारिक न्यायाधीश आई.बी. पठान की अदालत में हुई। पति की ओर से अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी ने पक्ष रखा और विस्तार से घटनाओं की श्रृंखला अदालत के समक्ष रखी।
वर्ष 2014 में सूरत के भटार निवासी विजय (बदला हुआ नाम) का विवाह उधना क्षेत्र की शीतल (बदला हुआ नाम) से हुआ था। उनके एक पुत्र 'ग्रंथ' (बदला हुआ नाम) का जन्म 6 अक्टूबर 2015 को हुआ, जो वर्तमान में अपनी मां के साथ रह रहा है।
पति ने बताया कि विवाह के बाद उसने पत्नी को अपने साथ लाकर एक आदर्श पति की भूमिका निभाई। हालांकि, पत्नी लगातार बिना कारण झगड़ा करती थी, बेटे को भी परेशान करती थी, और मानसिक तनाव देती थी। उसने न तो घर के किसी सदस्य से ठीक से व्यवहार किया और न ही किसी प्रकार के घरेलू कार्यों में रुचि दिखाई।
पति ने आरोप लगाया कि पत्नी छोटी-छोटी बातों को लेकर बड़ा विवाद करती थी और अपमानजनक भाषा का प्रयोग करती थी। उसने घर में कभी सामान्य व्यवहार नहीं किया, ससुराल वालों से भी अशोभनीय व्यवहार करती रही। यहां तक कि सास के लिए बनाए गए भोजन को भी नकारने की घटनाएं सामने आईं।
2016 में पत्नी बिना किसी कारण के बेटे को लेकर मायके चली गई और फिर कभी पति के साथ रहने नहीं आई। इसके बाद भी वह पति को फोन और अन्य माध्यमों से मानसिक रूप से प्रताड़ित करती रही, जिससे विवश होकर पति ने महिला पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी।
पति ने परिवार न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल करते हुए यह कहा कि पत्नी ने न तो पति के रूप में उसकी गरिमा का ख्याल रखा और न ही विवाह की मर्यादाओं का पालन किया। लगातार झूठे केस की धमकी, क्रूर व्यवहार और वैवाहिक जिम्मेदारियों से पलायन को आधार बनाते हुए उसने विवाह विच्छेद की गुहार लगाई।
अदालत ने याचिकाकर्ता पति की ओर से प्रस्तुत सभी तथ्यों, प्रमाणों और अधिवक्ता प्रीति जिग्नेश जोशी के तर्कों पर विचार करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि पत्नी ने पति के साथ अमानवीय व्यवहार किया है और वैवाहिक जीवन निर्वहन करने में असमर्थता दिखाई है। अतः विवाह को अब बनाए रखना व्यावहारिक नहीं है।
अदालत ने पति की तलाक याचिका को स्वीकार कर विवाह को समाप्त करने का आदेश दिया।