डॉ. संजय हिरजी पाटिल की अनोखी कहानी

राहगीरों की सेवा और गरीबों की मदद करना ही जीवन का लक्ष्य

डॉ. संजय हिरजी पाटिल की अनोखी कहानी

महाराष्ट्र राज्य के नंदुरबार जनपद, शहादा तालुका स्थित ब्राह्मनपुरी गांव से ताल्लुक रखने वाले डॉ. संजय हिरजी पाटिल एक ऐसे चिकित्सक हैं, जिन्होंने चिकित्सा को केवल पेशा नहीं, बल्कि मानव सेवा का माध्यम बना दिया है। वे न केवल अपने क्षेत्र के लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं, बल्कि उनके जीवन की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चा सुख दूसरों के दुःख दूर करने में ही है।

बी.ई.एम.एस. (बैचलर ऑफ इलेक्ट्रोपैथी मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री प्राप्त करने के बाद डॉ. पाटिल 1996 में सूरत आए। उन्होंने उधना अस्पताल में सहायक डॉक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की, और दो वर्षों तक सेवा देने के बाद हीरानगर, पांडेसरा में "आरती क्लिनिक" के नाम से निजी डिस्पेंसरी शुरू की। वर्तमान में वे स्वतंत्र सेनानी नगर, गुजरात हाउसिंग बोर्ड, पांडेसरा में निवास करते हैं।

डॉ. पाटिल बताते हैं कि इस सेवा-पथ पर उनकी जीवन संगिनी अलकाबेन पाटिल ने हर कठिन घड़ी में उनका साथ निभाया। उनके परिवार में उनकी माता, दो बेटियाँ और एक बेटा हैं। उनके बच्चे आज आत्मनिर्भर हैं—बेटा और एक बेटी लंदन में निवास करते हैं, जबकि एक बेटी सूरत के वेसू क्षेत्र में अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रही है।

डॉ. पाटिल अब अपने जीवन को पूर्णतः समाज सेवा को समर्पित कर चुके हैं। उनकी क्लिनिक में आने वाले गरीब व जरूरतमंद मरीजों का इलाज वे निःशुल्क करते हैं। उनका मानना है कि एक डॉक्टर का कर्तव्य सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं होता, बल्कि ज़रूरतमंद के साथ संवेदनात्मक जुड़ाव भी होना चाहिए।

वर्ष 2001 में मेमो ट्रेन से यात्रा करते समय उनके सामने एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। एक युवक हितेश का ट्रेन दुर्घटना में दाहिना पैर कट गया था। उस समय वह बिल्कुल अकेला था। डॉ. पाटिल ने बिना किसी देरी के उसे सूरत के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया और उसके इलाज व देखभाल की पूरी जिम्मेदारी ली। उन्होंने उसके परिवार को खोजकर उनसे मिलवाया और उसे मानसिक सहारा भी दिया।

कोरोना महामारी के कठिन समय में जब लोग अपने घरों में बंद थे, डॉ. पाटिल ने एक टीम बनाकर ज़रूरतमंदों तक भोजन पहुँचाया। उन्होंने न केवल मरीजों की देखभाल की, बल्कि समाज में सहयोग की भावना को जीवित रखा। डॉ. संजय हिरजी पाटिल का मानना है: “गरीब और असहाय लोगों की सेवा करना ही सच्चा धर्म है।”उनका जीवन इस विचार का जीता-जागता उदाहरण है।

डॉ. संजय हिरजी पाटिल जैसे समर्पित लोग समाज के असली नायक होते हैं। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि अगर मन में सेवा का संकल्प हो, तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती। वे आज भी सूरत के पांडेसरा क्षेत्र में मानवता की सेवा में जुटे हुए हैं और अपने कार्यों से लोगों के दिलों में जगह बना चुके हैं।

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