सूरत को खाड़ी बाढ़ से बचाने की योजना पर गांधीनगर में उच्च-स्तरीय बैठक

मंत्री हर्ष संघवी की अध्यक्षता में दीर्घकालिक योजना और अल्पकालिक उपायों पर हुई गहन चर्चा, मीठी और काकड़ा खाड़ी की सफाई पर जोर

सूरत को खाड़ी बाढ़ से बचाने की योजना पर गांधीनगर में उच्च-स्तरीय बैठक

सूरत। मानसून के दौरान सूरत शहर में मीठी खाड़ी और अन्य खाड़ियों से उत्पन्न होने वाली बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए गांधीनगर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, वन, पर्यावरण, जल आपूर्ति राज्य मंत्री मुकेशभाई पटेल, जल आपूर्ति राज्य मंत्री कुंवरजीभाई बावलिया और अन्य उच्च अधिकारियों की उपस्थिति में हुई इस बैठक में सूरत को बाढ़ मुक्त बनाने के उपायों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में सामने से आने वाले वर्षा जल के कारण सूरत शहर की खाड़ी में उत्पन्न होने वाली बाढ़ की स्थिति को रोकने के लिए चर्चा की गई। नर्मदा, जल संसाधन और कल्पसर विभाग और सूरत नगर निगम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का एक विस्तृत पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।

दीर्घकालिक और अल्पावधि योजनाओं पर फोकस:

अधिकारियों को भविष्य को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक माइक्रोप्लानिंग करने के निर्देश दिए गए। साथ ही, अल्पावधि में बाढ़ की स्थिति को रोकने पर भी चर्चा की गई। इसके लिए नगर निगम के साथ विभिन्न विभागों को मिलकर काम करने के लिए कहा गया है। बैठक के दौरान, यह भी निर्णय लिया गया कि एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति बाढ़ जैसी स्थिति को रोकने के लिए चर्चा किए गए मुद्दों का सर्वेक्षण और रिपोर्ट देगी, जिसके आधार पर अगली योजना तय की जाएगी। अधिकारियों से समय-सीमा के भीतर प्राथमिकता के आधार पर कार्य पूरा करने का आग्रह किया गया।

खाड़ी में बाढ़ के मुख्य कारण और समाधान:

यह बताया गया कि मानसून के दौरान भारी बारिश होने पर सूरत शहर के कई इलाकों में बाढ़ आ जाती है, जिसके मुख्य कारण खाड़ी में गाद जमा होने से उनकी क्षमता में कमी, खाड़ी के आसपास निर्माण कार्य के कारण जल प्रवाह का संकुचित होना, खाड़ी के नाले और उप-नाले में दबाव, खाड़ी में अपशिष्ट निपटान और खाड़ी के प्राकृतिक प्रवाह को मोड़ने से आसपास के क्षेत्र में पानी भर जाना है।

बारडोली तालुका से निकलने वाली दो प्रमुख खाड़ियाँ - हरिपुरा से भमैया कडोदरा खाड़ी और शामपुरा से देलाड जोखा कोसमाडी खाड़ी - का पानी भी सूरत शहर में आता है। इन खाड़ियों की क्षमता कम होने, जल निकासी क्षेत्र में निर्माण, विभिन्न समाजों की चारदीवारी या जल प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने के कारण पानी जमा हो जाता है। इस समस्या के समाधान के लिए व्यापक चर्चा की गई।

मंत्री ने इन खाड़ियों के पानी को मोड़कर तापी तक ले जाने और खाड़ियों के बेसिन में झीलों को गहरा करने जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए सर्वेक्षण और योजना पर अधिकारियों के साथ चर्चा की।

किए जाने वाले प्रमुख कार्य:

  • गाद निकालना: सिंचाई और जल निकासी विभाग को मीठी खाड़ी और काकड़ा खाड़ी से गाद निकालने के निर्देश दिए गए, जहाँ खाड़ी की चौड़ाई कम हो गई है, वहां सर्वेक्षण करने के लिए भी कहा गया।

  • अवरोध हटाना: नगर निगम को वर्षा जल निकासी में बाधा बन रहे मौजूदा ढांचों को हटाने के निर्देश दिए गए।

  • रेलवे पुलों पर ड्रेजिंग: मंत्री ने रेलवे अधिकारी से खाड़ी पर स्थित रेलवे पुल संख्या 440 और 442 के पास ड्रेजिंग करने का आग्रह किया।

  • झींगा तालाब हटाना: सिंचाई विभाग से खाड़ी के किनारे बने झींगा तालाबों को तुरंत हटाने का भी आग्रह किया गया।

  • पाइपलाइन बिछाना: ग्रामीण क्षेत्रों से गुजरने वाली शहरी सड़कों और राजमार्गों के समानांतर पाइपलाइन बिछाकर वर्षा जल की निकासी की जानी चाहिए।

बैठक में कलेक्टर डॉ. सौरभ पारधी, नगर आयुक्त शालिनी अग्रवाल और विभिन्न विभागों के अन्य उच्च अधिकारी उपस्थित थे।

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