सूरत में पहली बार जुर्माना वसूलने वाले कैमरे बने राहत कार्यों के मददगार
4500 CCTV कैमरों की मदद से जलभराव की निगरानी, त्वरित कार्रवाई से लोगों को राहत
सूरत : बारिश के दौरान जलभराव और प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए सूरत नगर निगम और पुलिस द्वारा लगाए गए सीसीटीवी कैमरे पहली बार आम लोगों की सहायता में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
जिन सीसीटीवी कैमरों का उपयोग अब तक पुलिस ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना वसूलने या नगर निगम सफाई की निगरानी के लिए किया जाता था, वही अब जलभराव, पेड़ गिरने और आपात स्थितियों में राहत कार्यों की निगरानी में मदद कर रहे हैं।
सूरत शहर में पिछले दो दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है। नदियों और नालों के उफान से कई क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति बन गई है। शनिवार रात जैसे ही बारिश कुछ थमी, देर रात से दोबारा तेज वर्षा शुरू हो गई, जिससे हालात और बिगड़ गए। ऐसी स्थिति में म्युनिसिपल कमिश्नर शालिनी अग्रवाल सहित नगर निगम की उच्च स्तरीय टीम इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (ICCC) पर पहुंची।
शहर में लगाए गए लगभग 4500 कैमरे—जिनमें 3500 नगर पालिका और 1000 सूरत पुलिस के हैं—ICCC से नियंत्रित होते हैं। जैसे ही बारिश के कारण जलभराव या पेड़ों के गिरने की घटनाएं हुईं, कैमरों की लाइव फीड के माध्यम से तुरंत जानकारी जुटाई गई और संबंधित जोन व विभागों को अलर्ट भेजा गया।
इस तकनीकी निगरानी से लोगों की शिकायत दर्ज होने से पहले ही राहत कार्य शुरू कर दिए गए। कई स्थानों पर फायर ब्रिगेड और स्वास्थ्य विभाग की टीमें समय रहते पहुंचीं। खाड़ी में जलस्तर बढ़ने की जानकारी भी इन्हीं कैमरों से मिली, जिससे संभावित संकट वाले इलाकों में त्वरित संसाधन भेजे जा सके।
जहां पानी उतर चुका था, वहां कीटनाशक छिड़काव और सफाई कार्यों के निर्देश तत्काल दिए गए। इससे पानी जमने के बाद होने वाली बीमारियों की रोकथाम में भी मदद मिली।
यह पहली बार है जब आमतौर पर "जुर्माना वसूलने" के लिए बदनाम ये कैमरे जनहित में आपदा प्रबंधन का अहम औजार बनकर सामने आए हैं। सूरत की यह पहल स्मार्ट सिटी मॉडल के अंतर्गत तकनीक के सार्थक उपयोग की एक प्रभावशाली मिसाल मानी जा रही है।