सूरत की कुर्ती मार्केट का नया केंद्र बना 'द इंपीरिया राजहंस'

मार्केट के संचालकों ने मेट्रो निर्माण कार्य को व्यापार में सबसे बड़ी बाधा बताया ,पिछले एक वर्ष में केवल एक ही पिलर तैयार

सूरत की कुर्ती मार्केट का नया केंद्र बना 'द इंपीरिया राजहंस'

सूरत: रिंग रोड स्थित मान दरवाज़ा के प्राइम लोकेशन पर ‘द इंपीरिया राजहंस’ मार्केट 2019 में स्थापित किया गया था। इस मार्केट में कुल 261 दुकानें हैं, जिनमें से लगभग 80 प्रतिशत फिलहाल सक्रिय हैं। यह मार्केट विशेष रूप से कुर्ती व्यापार के लिए जाना जाता है और सूरत की प्रमुख कपड़ा मंडियों में तेजी से उभर रहा है।

लोकतेज से बातचीत में "आढ़तियां कपड़ा एसोसिएशन सूरत" के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल ने बताया कि मार्केट में सुरक्षा और सफाई की उत्कृष्ट व्यवस्था है। सूरत के तमाम मार्केट्स में यह सफाई के मामले में अग्रणी माना जाता है। यहां सूरत की प्रतिष्ठित संस्था  (AKAS) के आढ़तिया कार्यालय भी मौजूद हैं, जिससे इसकी प्रतिष्ठा और भी बढ़ जाती है।

मार्केट का संचालन इजाज भाई की देखरेख में होता है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। ग्राहकों और व्यापारियों की सुविधा हेतु विशेष पार्किंग व्यवस्था और चार लिफ्ट्स की सुविधा भी उपलब्ध है।

मार्केट में राधा कृपा के संचालक  विकास अग्रवाल ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से कुर्ती का व्यापार कर रहे हैं। उनके अनुसार, ₹1000 से ₹5000 तक की कुर्तियां यहां उपलब्ध हैं, जिनमें खास तौर पर इंडो-वेस्टर्न कुर्तियां शादी समारोह के लिए तैयार की जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में वे ऑफलाइन व्यापार कर रहे हैं लेकिन भविष्य में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विस्तार की योजना है। ग्राहकों को सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि ऑनलाइन खरीदारी हमेशा रजिस्टर्ड संस्थाओं से ही करनी चाहिए।


कुछ मार्केट के संचालकों ने मेट्रो निर्माण कार्य को व्यापार में सबसे बड़ी बाधा बताया। उनके अनुसार, पिछले एक वर्ष में केवल एक ही पिलर तैयार हुआ है, जिससे क्षेत्र में यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। ग्राहकों की आवक कम होने से व्यापार ठप हो गया है। इस स्थिति में दुकानदारों को ₹20,000 से ₹50,000 तक का मासिक किराया चुकाना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ता जा रहा है।

लिमिसिंस डिज़ाइन के संचालक  पारस जैन ने बताया कि वे पिछले पांच महीने से यहां कारोबार कर रहे हैं और ₹700 से ₹2000 तक की कुर्तियों का होलसेल व रिटेल में रोकड़ा व्यापार करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में महिलाएं साड़ी की बजाय कुर्ती को प्राथमिकता दे रही हैं, क्योंकि यह रोज़मर्रा के उपयोग के लिए अधिक सुविधाजनक है। आने वाले समय में कुर्ती का चलन और तेज़ी से बढ़ने की संभावना है।

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